खीर भवानी मंदिर जम्मू-कश्मीर के सबसे पवित्र और महत्वपूर्ण मंदिरों में से एक है। यह मंदिर माता रागन्या देवी (खीर भवानी) को समर्पित है और गांदरबल जिले के तुलमुल गाँव में स्थित है। माता खीर भवानी को कश्मीरी पंडितों की कुलदेवी माना जाता है और यहाँ दूर-दूर से श्रद्धालु दर्शन के लिए आते हैं। इस मंदिर की विशेषता है कि मंदिर के पवित्र सरोवर का रंग बदलता रहता है, जिसे शुभ और अशुभ संकेतों से जोड़ा जाता है।

खीर भवानी मंदिर – (माता रानी का दिव्य धाम)
Overview
खीर भवानी मंदिर जम्मू-कश्मीर के सबसे पवित्र और महत्वपूर्ण मंदिरों में से एक है। यह मंदिर माता रागन्या देवी (खीर भवानी) को समर्पित है और गांदरबल जिले के तुलमुल गाँव में स्थित है। माता खीर भवानी को कश्मीरी पंडितों की कुलदेवी माना जाता है और यहाँ दूर-दूर से श्रद्धालु दर्शन के लिए आते हैं। इस मंदिर की विशेषता है कि मंदिर के पवित्र सरोवर का रंग बदलता रहता है, जिसे शुभ और अशुभ संकेतों से जोड़ा जाता है।
खीर भवानी मंदिर का परिचय
- स्थान: तुलमुल गाँव, गांदरबल, जम्मू-कश्मीर
- समर्पित: माता रागन्या देवी (खीर भवानी)
- निर्माण काल: 8वीं शताब्दी (राजा प्रताप सिंह और महाराजा हरि सिंह द्वारा पुनर्निर्माण)
- विशेषता: सरोवर का जल रंग बदलता है
🛕 मंदिर का धार्मिक महत्व
खीर भवानी मंदिर का उल्लेख हिंदू धर्म की पौराणिक कथाओं में मिलता है। यह माना जाता है कि रामायण काल में, जब लंका में रावण का शासन था, तब माता रागन्या देवी वहाँ पूजी जाती थीं। लेकिन रावण के अत्याचारों से दुखी होकर, माता ने हनुमान जी को आदेश दिया कि वे उन्हें कश्मीर के तुलमुल स्थान पर ले जाएँ। तब से यह स्थान माता का प्रमुख धाम बन गया।
📖 पौराणिक मान्यता:
ऐसा कहा जाता है कि इस मंदिर में स्थित सरोवर (तालाब) का रंग बदलता रहता है, और यह भविष्य में होने वाली घटनाओं का संकेत देता है।
- पानी का साफ और हल्का रंग – शुभ संकेत माना जाता है।
- गहरा या काला रंग – अनहोनी या संकट का संकेत देता है।
🌿 खीर भवानी मंदिर की विशेषताएँ
✅ खीर का विशेष प्रसाद: इस मंदिर में भक्त खीर (चावल और दूध से बनी मिठाई) का भोग लगाते हैं, इसलिए इसे खीर भवानी कहा जाता है।
✅ पवित्र सरोवर: मंदिर के चारों ओर एक पवित्र तालाब है, जिसका जल रहस्यमयी रूप से रंग बदलता है।
✅ लकड़ी की प्राचीन वास्तुकला: मंदिर की संरचना कश्मीरी शैली की है और यह लकड़ी से निर्मित है।
✅ कश्मीरी पंडितों का प्रमुख तीर्थस्थल: यह मंदिर कश्मीर के हिंदुओं, विशेष रूप से कश्मीरी पंडितों की आस्था का मुख्य केंद्र है।
🚶♂️ मंदिर तक कैसे पहुँचें?
- श्रीनगर से खीर भवानी मंदिर लगभग 25 किलोमीटर दूर है और सड़क मार्ग से आसानी से पहुँचा जा सकता है।
- यहाँ के लिए टैक्सी और बस सेवा उपलब्ध है।
- मंदिर तक जाने का मार्ग सुंदर प्राकृतिक वादियों से होकर गुजरता है।
📅 यात्रा के लिए सबसे अच्छा समय
- खीर भवानी उत्सव (ज्येष्ठ अष्टमी): यह त्योहार मई-जून में मनाया जाता है, जब हजारों श्रद्धालु माता के दर्शन के लिए आते हैं।
- गर्मियों (अप्रैल-जुलाई) में यात्रा करना सबसे अच्छा रहता है, क्योंकि सर्दियों में बर्फबारी के कारण यहाँ पहुँचना मुश्किल हो सकता है।
🔔खीर भवानी मंदिर क्यों जाएँ?
🙏 आध्यात्मिक अनुभव: माता रागन्या देवी के दर्शन से भक्तों को दिव्य शांति का अनुभव होता है।
🌿 प्राकृतिक सौंदर्य: हरे-भरे पेड़ों और पहाड़ों से घिरा यह स्थान बहुत ही सुंदर और शांतिपूर्ण है।
🛕 पवित्र जल का महत्व: सरोवर का जल भविष्य में होने वाली घटनाओं के संकेत देता है।
🔥 कश्मीरी पंडितों की आस्था का केंद्र: यह मंदिर हिंदू धर्म की समृद्ध विरासत का प्रतीक है।