
माँ ब्रह्मचारिणी की कथा
माँ ब्रह्मचारिणी की कथा, पूजा विधि एवं लाभ
जैसा की हम सब जानते है चैत्र नवरात्री शुरू होने वाली है जो की इस बार 9 के बजाय 8 दिन की होगी यह आठ दिन माँ आदिशक्ति की उपासना के लिए सर्वोत्तम माने जाते है साथ ही साथ इन नवरात्रों की शुरुआत के साथ ही हिन्दू नव वर्ष की शुरुआत होती है हिंदू धर्म में माँ दुर्गा के नौ स्वरूपों की पूजा का विशेष महत्व माना जाता है। माँ ब्रह्मचारिणी, माता दुर्गा का दूसरा स्वरूप हैं, जिन्हें नवरात्रि के दूसरे दिन पूजा जाता है। यह स्वरूप साधना, तपस्या और संयम का प्रतीक माना जाता है। माँ ब्रह्मचारिणी की उपासना से भक्तों को असीम धैर्य, आत्मसंयम, ज्ञान और शक्ति की प्राप्ति होती है। इस लेख में हम माँ ब्रह्मचारिणी की कथा, उनकी पूजा विधि और उनसे होने वाले लाभों के बारे में विस्तार से चर्चा करेंगे।
माँ ब्रह्मचारिणी की कथा
“ब्रह्म” शब्द का अर्थ है “तपस्या” और “चारिणी” का अर्थ होता है “आचरण करने वाली”। अर्थात्, माँ ब्रह्मचारिणी वह देवी हैं जो कठोर तपस्या का आचरण करती हैं। उनकी साधना और तपस्या को देखकर ही उन्हें यह नाम मिला। यह स्वरूप माता पार्वती का ही है, जिन्होंने भगवान शिव को पति रूप में प्राप्त करने के लिए कठिन तप किया था।
पौराणिक कथा
प्राचीन काल में दक्ष प्रजापति की पुत्री सती ने भगवान शिव को पति रूप में प्राप्त करने के लिए घोर तपस्या की थी, लेकिन उनके पिता दक्ष इस विवाह से प्रसन्न नहीं थे। एक यज्ञ के दौरान उन्होंने भगवान शिव का अपमान किया, जिसे सती सहन नहीं कर पाईं और उन्होंने उसी यज्ञ की अग्नि में कूदकर अपने प्राण त्याग दिए।
सती के इस त्याग के बाद, उन्होंने अगले जन्म में पर्वतराज हिमालय के घर जन्म लिया और पार्वती कहलाईं। इस जन्म में भी उन्होंने भगवान शिव को ही अपने पति रूप में प्राप्त करने का संकल्प लिया। नारद मुनि के मार्गदर्शन में उन्होंने भगवान शिव को प्राप्त करने के लिए कठिन तपस्या आरंभ की।
माँ ब्रह्मचारिणी ने हजारों वर्षों तक केवल फल-फूल खाकर तपस्या की, फिर कई वर्षों तक केवल बेलपत्र खाकर रही। इसके बाद उन्होंने निर्जल और निराहार रहकर भी तपस्या जारी रखी। उनकी इस घोर तपस्या से देवता, ऋषि-मुनि, और स्वयं भगवान शिव भी प्रसन्न हो गए। अंततः, उनकी तपस्या सफल हुई और भगवान शिव ने उन्हें पत्नी रूप में स्वीकार किया।
यह कथा से हमें यह पता चलता है की माता पार्वती का तपश्विनी रूप ही ब्रह्मचारिणी कहलाता है जो हमें तप, धैर्य और आत्मसंयम की महत्ता सिखाती है। यह दिखाती है कि यदि व्यक्ति अपने लक्ष्य के प्रति दृढ़ संकल्पित हो, तो वह किसी भी कठिनाई को पार कर सकता है।
माँ ब्रह्मचारिणी की पूजा विधि
पूजा की आवश्यक सामग्री
माँ ब्रह्मचारिणी की पूजा के लिए निम्नलिखित सामग्री आवश्यक होती है:
1. माँ ब्रह्मचारिणी की प्रतिमा या चित्र
2. कलश और गंगाजल
3. लाल या पीले फूल
4. अक्षत (चावल)
5. रोली और चंदन
6. कपूर और धूप
7. दीपक और तेल
8. पंचामृत (दूध, दही, घी, शहद और शक्कर)
9. मिश्री या गुड़
10. फल और मिठाई

पूजा की विधि
माँ ब्रह्मचारिणी की पूजा विधि इस प्रकार है:
1. संकल्प और कलश स्थापन
- प्रातः स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
- पूजा स्थल को साफ करें और वहाँ माँ ब्रह्मचारिणी की प्रतिमा या चित्र स्थापित करें।
- एक कलश में गंगाजल भरकर आम के पत्ते और नारियल रखें।
- पूजा का संकल्प लें और माँ का ध्यान करें।
2. माँ की आराधना
- माँ ब्रह्मचारिणी को लाल फूल, चंदन, रोली और अक्षत अर्पित करें।
- उन्हें पंचामृत से स्नान कराएँ और वस्त्र अर्पित करें।
- उन्हें मिश्री, फल और मिठाई का भोग लगाएँ।
3. मंत्र जाप
माँ ब्रह्मचारिणी के निम्नलिखित मंत्रों का जाप करें:
1. ध्यान मंत्र
_”वन्दे वाञ्छितलाभाय चन्द्रार्धकृतशेखराम्।
जपमालाकमण्डलु धरा ब्रह्मचारिणी शुभाम्।।”_
2. बीज मंत्र
_ॐ ऐं ह्रीं क्लीं ब्रह्मचारिण्यै नमः।_
4. आरती और हवन
- कपूर जलाकर माँ की आरती करें।
- घी का दीपक जलाकर हवन करें और परिवार के सभी सदस्यों के साथ माँ का स्मरण करें।
5. प्रसाद वितरण
- पूजा के अंत में माता को प्रणाम करें और प्रसाद ग्रहण करें।
- घर के सदस्यों और अन्य भक्तों को भी प्रसाद वितरित करें।
माँ ब्रह्मचारिणी की पूजा के लाभ

माँ ब्रह्मचारिणी की पूजा करने से अनेक लाभ होते हैं, जिनमें से प्रमुख लाभ निम्नलिखित हैं:
1. धैर्य और आत्मसंयम की प्राप्ति:- माँ ब्रह्मचारिणी तपस्या और संयम की देवी हैं। उनकी पूजा करने से व्यक्ति को धैर्य और आत्मसंयम प्राप्त होता है, जिससे वह जीवन की कठिनाइयों का सामना धैर्यपूर्वक कर सकता है।
2. जीवन में सकारात्मकता और आत्मबल:- जो व्यक्ति मानसिक तनाव या अवसाद से ग्रसित हैं, उन्हें माँ ब्रह्मचारिणी की पूजा अवश्य करनी चाहिए। इससे आत्मबल बढ़ता है और जीवन में सकारात्मकता आती है।
3. शिक्षा और ज्ञान की वृद्धि:- विद्यार्थियों के लिए माँ ब्रह्मचारिणी की पूजा विशेष रूप से लाभकारी मानी जाती है। इससे एकाग्रता, बुद्धि और स्मरण शक्ति में वृद्धि होती है।
4. विवाह में आने वाली बाधाओं का निवारण:- यदि किसी कन्या के विवाह में विलंब हो रहा है, तो माँ ब्रह्मचारिणी की पूजा करने से शीघ्र विवाह के योग बनते हैं। यह पूजा वैवाहिक जीवन को भी सुखद और मंगलमय बनाती है।
5. साधना और आध्यात्मिक उन्नति:- लोग ध्यान, योग और साधना में रुचि रखते हैं, उनके लिए माँ ब्रह्मचारिणी की पूजा अत्यंत लाभकारी होती है। इससे साधक की आध्यात्मिक ऊर्जा जाग्रत होती है और वह अपने लक्ष्य को प्राप्त करने में सफल होता है।
माँ ब्रह्मचारिणी की पूजा नवरात्रि के दूसरे दिन की जाती है और यह भक्ति, संयम और साधना का प्रतीक है। उनकी कथा हमें सिखाती है कि यदि हम अपने लक्ष्य के प्रति समर्पित हैं, तो किसी भी कठिनाई को पार कर सकते हैं। उनकी पूजा से व्यक्ति को धैर्य, आत्मसंयम, ज्ञान और शक्ति प्राप्त होती है।
