
महत्त्व, पूजा विधि और लाभ
आमलकी रंगभरी एकादशी: महत्त्व, पूजा विधि और लाभ ( 10 march)
आमलकी रंगभरी एकादशी का महत्व
हिंदू धर्म में एकादशी व्रत का विशेष महत्त्व है और यह हर महीने में दो बार आता है—एक कृष्ण पक्ष में और दूसरा शुक्ल पक्ष में। फाल्गुन माह में शुक्ल पक्ष की एकादशी को “आमलकी एकादशी” कहा जाता है। इसे “रंगभरी एकादशी” भी कहा जाता है क्योंकि यह होली से पहले आती है और इसे भगवान विष्णु और देवी लक्ष्मी की कृपा प्राप्त करने के लिए मनाया जाता है। इस दिन आंवला वृक्ष (आमलकी) की पूजा का विशेष महत्व होता है।
आमलकी एकादशी की पौराणिक कथा
पुराणों के अनुसार, राजा मान्धाता के राज्य में एक बार भयंकर अकाल पड़ा। इस संकट से निपटने के लिए ऋषियों ने उन्हें आमलकी एकादशी व्रत करने का सुझाव दिया। जब राजा और उनके प्रजा ने श्रद्धा और नियमपूर्वक यह व्रत किया, तो उनके राज्य में पुनः समृद्धि आ गई। एक अन्य कथा के अनुसार, भगवान विष्णु के आशीर्वाद से आंवले के वृक्ष की उत्पत्ति हुई और यह वृक्ष उनके प्रिय वृक्षों में से एक माना जाता है। इस कारण, इस दिन आंवला वृक्ष की पूजा करने से भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त होती है।
आमलकी एकादशी व्रत की पूजा विधि
आमलकी एकादशी व्रत करने के लिए निम्नलिखित विधि का पालन किया जाता है:
- स्नान और संकल्प:
- प्रातः काल जल्दी उठकर स्नान करें।
- व्रत का संकल्प लें और भगवान विष्णु का स्मरण करें।
- आंवले के वृक्ष की पूजा:
- आंवले के वृक्ष को जल अर्पित करें।
- फल, फूल, अक्षत, धूप और दीप से पूजन करें।
- भगवान विष्णु और देवी लक्ष्मी की पूजा:
- भगवान विष्णु और देवी लक्ष्मी की मूर्ति या चित्र स्थापित करें।
- तुलसी के पत्तों के साथ पंचामृत अर्पित करें।
- भगवद गीता या विष्णु सहस्रनाम का पाठ करें।
- “ॐ नमो भगवते वासुदेवाय” मंत्र का जप करें।
- भजन और कीर्तन:
- इस दिन विष्णु भजन और कीर्तन करने से विशेष लाभ होता है।
- शाम को दीपदान करें।
- रात्रि जागरण और व्रत पारण:
- रात्रि को भगवान की कथाएँ सुनें और जागरण करें।
- अगले दिन पारण के समय फलाहार करें और ब्राह्मणों को दान दें।
आमलकी एकादशी के व्रत से लाभ
- सुख-समृद्धि:
- इस व्रत को करने से घर में सुख-शांति और समृद्धि आती है।
- पापों का नाश:
- यह व्रत पापों का नाश करता है और मोक्ष की प्राप्ति कराता है।
- स्वास्थ्य लाभ:
- आंवला खाने से शरीर स्वस्थ रहता है और रोग दूर होते हैं।
- मानसिक शांति:
- इस व्रत से मानसिक शांति और आध्यात्मिक उन्नति होती है।
- होली की तैयारी:
- इस दिन काशी में बाबा विश्वनाथ के साथ माँ गौरी का विवाह भी मनाया जाता है।
