
माँ स्कंदमाता की पौराणिक कथा
मां स्कंदमाता की कथा
नवरात्रि के पाँचवे दिन माँ दुर्गा के स्कंदमाता स्वरूप की पूजा की जाती है। स्कंदमाता का नाम उनके पुत्र भगवान स्कंद (कार्तिकेय) के कारण पड़ा। वे अपनी गोद में स्कंद को लिए हुए हैं और उनकी चार भुजाएँ हैं। दो भुजाओं में कमल धारण करती हैं, एक हाथ में भगवान स्कंद (कार्तिकेय) विराजमान होते हैं और चौथा हाथ भक्तों को आशीर्वाद देने की मुद्रा में होता है। वे कमल पुष्प पर विराजमान रहती हैं, इसलिए इन्हें पद्मासना देवी भी कहा जाता है।
माँ स्कंदमाता की पौराणिक कथा
पौराणिक मान्यता के अनुसार, एक समय असुरों के राजा तारकासुर ने कठोर तपस्या करके ब्रह्मा जी से यह वरदान प्राप्त कर लिया कि उसकी मृत्यु केवल भगवान शिव के पुत्र के हाथों ही होगी। चूँकि माता सती के योगाग्नि में भस्म हो जाने के बाद भगवान शिव गहरी तपस्या में लीन थे, इसलिए तारकासुर ने इस वरदान का लाभ उठाकर देवताओं पर अत्याचार करना शुरू कर दिया।
देवताओं ने भगवान विष्णु से प्रार्थना की, तब उन्होंने बताया कि केवल माता पार्वती और भगवान शिव के पुत्र के हाथों ही तारकासुर का वध संभव है। इस कारण समस्त देवताओं ने माँ पार्वती से भगवान शिव से विवाह करने की प्रार्थना की। माता पार्वती ने कठोर तपस्या कर भगवान शिव को प्रसन्न किया और उनसे विवाह किया।
कुछ समय बाद, माता पार्वती के गर्भ से भगवान स्कंद (कार्तिकेय) का जन्म हुआ। जब वे बड़े हुए, तब देवताओं ने उन्हें सेनापति बनाया और उन्होंने तारकासुर का वध कर देवताओं को उसके अत्याचारों से मुक्त किया।
माँ स्कंदमाता अपनी भक्ति करने वाले भक्तों को मोक्ष प्रदान करती हैं और उनकी सभी मनोकामनाएँ पूर्ण करती हैं।
माँ स्कंदमाता की पूजा विधि (विस्तार से)
नवरात्रि के पाँचवे दिन माँ स्कंदमाता की पूजा की जाती है। यह दिन भक्तों के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण होता है क्योंकि माँ स्कंदमाता की उपासना से सभी प्रकार की बाधाओं का नाश होता है और व्यक्ति को मोक्ष की प्राप्ति होती है। उनकी कृपा से भक्तों को संतान सुख, बुद्धि, शांति और समृद्धि प्राप्त होती है।
माँ स्कंदमाता की पूजा विधि
1. प्रातःकाल की तैयारी
- सूर्योदय से पहले उठें और स्नान कर लें।
- स्वच्छ वस्त्र धारण करें, विशेष रूप से पीले या लाल रंग के कपड़े पहनना शुभ माना जाता है।
- घर के पूजा स्थान या मंदिर की सफाई करें और गंगाजल का छिड़काव करें।
- पूजा के लिए लकड़ी की चौकी पर लाल या पीले रंग का कपड़ा बिछाएँ।
2. माँ स्कंदमाता का स्थापना और संकल्प
- माँ स्कंदमाता की मूर्ति या चित्र को चौकी पर स्थापित करें।
- एक तांबे या चाँदी के कलश में जल भरें और उसके ऊपर नारियल रखें, साथ ही उसमें आम या अशोक के पत्ते लगाएँ।
- हाथ में जल, चावल और फूल लेकर माँ स्कंदमाता की पूजा का संकल्प लें –
“मैं (अपना नाम) नवरात्रि के पाँचवे दिन माँ स्कंदमाता की पूजा कर रहा/रही हूँ। माता जी, मेरी सभी मनोकामनाएँ पूरी करें और मुझ पर कृपा करें।” - संकल्प के बाद जल को भूमि पर छोड़ दें।
3. पंचोपचार / षोडशोपचार पूजन
अब माँ स्कंदमाता की पंचोपचार (5 सामग्रियों) या षोडशोपचार (16 सामग्रियों) से पूजा करें:
- ध्यान – माँ का ध्यान करें और उनका ध्यान मंत्र जपें:
“सिंहासनगता नित्यं पद्माश्रितकरद्वया।
शुभदास्तु सदा देवी स्कंदमाता यशस्विनी॥” - आवाहन – माँ स्कंदमाता का आवाहन करें और उन्हें पूजा के लिए आमंत्रित करें।
- अर्घ्य – कलश में जल लेकर माँ को अर्पित करें।
- पाद्य – उनके चरणों को जल से धोने का भाव करें।
- आचमन – माँ को शुद्ध जल अर्पित करें।
- स्नान – माँ को जल, दूध, शहद और गंगाजल से स्नान कराएँ (मानसिक रूप से)।
- वस्त्र – माँ को पीले या लाल रंग के वस्त्र अर्पित करें।
- गंध – चंदन, कुमकुम और केसर का तिलक करें।
- फूल – माँ को पीले और लाल फूल अर्पित करें।
- धूप – धूप जलाकर माँ को समर्पित करें।
- दीपक – घी का दीपक जलाएँ और माँ से कृपा की प्रार्थना करें।
- नैवेद्य – माँ को केले, मखाने की खीर, गुड़, शहद और पंचामृत का भोग लगाएँ।
- सिंदूर और अक्षत – माँ को सिंदूर और अक्षत (चावल) अर्पित करें।
- मंत्र जाप – माँ स्कंदमाता के मंत्रों का जाप करें।
- कवच और स्तोत्र पाठ – स्कंदमाता के कवच, स्तोत्र या चालीसा का पाठ करें।
- आरती – माँ की आरती करें और सभी भक्तों में प्रसाद वितरित करें।
4. माँ स्कंदमाता का मंत्र जाप
मंत्र जाप करने से माँ की कृपा शीघ्र प्राप्त होती है।
👉 बीज मंत्र:
“ॐ देवी स्कंदमातायै नमः”
👉 मंत्र:
“या देवी सर्वभूतेषु माँ स्कंदमाता रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥”
5. हवन (यदि संभव हो)
- घी, गुड़, कर्पूर और हवन सामग्री मिलाकर अग्नि में आहुति दें।
- “ॐ ऐं ह्रीं क्लीं स्कंदमातायै नमः स्वाहा” मंत्र का उच्चारण करें।
- कम से कम 11 या 21 आहुतियाँ दें।
6. कन्या पूजन और भोग वितरण
- माँ स्कंदमाता संतान और सुख-समृद्धि की देवी हैं, इसलिए इस दिन कन्या पूजन शुभ होता है।
- छोटी कन्याओं को भोजन कराएँ और उन्हें वस्त्र व उपहार दें।
- घर के सभी सदस्यों को प्रसाद वितरित करें।
7. माँ से आशीर्वाद और प्रार्थना
- माँ स्कंदमाता से संतान सुख, सुख-समृद्धि और ज्ञान प्राप्ति की प्रार्थना करें।
- घर की सुख-शांति के लिए प्रार्थना करें।
माँ स्कंदमाता की पूजा का फल
- माँ की कृपा से मानसिक शांति और आध्यात्मिक ज्ञान प्राप्त होता है।
- संतान सुख और परिवार में खुशहाली बनी रहती है।
- शत्रु नष्ट होते हैं और रोगों से मुक्ति मिलती है।
इस दिन पूजा करने से मोक्ष का मार्ग प्रशस्त होता है।
