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(भगवान विष्णु जी की कथा)

कल्कि अवतार (भगवान विष्णु जी की कथा)

भगवान कल्कि अवतार – विष्णु जी की कथा

भगवान कल्कि को विष्णु जी का दसवां और अंतिम अवतार माना जाता है, जो अभी प्रकट नहीं हुए हैं। हिंदू धर्म के शास्त्रों के अनुसार, जब कलियुग में अधर्म, पाप और अनाचार अपनी चरम सीमा पर पहुँच जाएगा, तब भगवान विष्णु कल्कि अवतार के रूप में धरती पर अवतरित होंगे और धर्म की पुनः स्थापना करेंगे।


कल्कि अवतार का उद्देश्य

श्रीमद्भागवत, विष्णु पुराण और अन्य ग्रंथों के अनुसार, कलियुग के अंत में जब समाज में दुष्टता, अधर्म, पाखंड और अनैतिकता पूरी तरह से फैल जाएगी, तब भगवान कल्कि प्रकट होंगे। वे असुरों, भ्रष्ट लोगों और अधार्मिक शक्तियों का संहार कर पुनः सत्य और धर्म की स्थापना करेंगे।

भगवान कल्कि का जन्म

पुराणों में बताया गया है कि भगवान कल्कि का जन्म कलियुग के अंतिम चरण में उत्तर प्रदेश के वर्तमान एटा जिले के “शंभल ग्राम” में होगा। वे ब्राह्मण कुल में जन्म लेंगे और उनके पिता का नाम विष्णुयश और माता का नाम सुमति होगा।

भगवान कल्कि की विशेषताएँ

  1. श्वेत अश्व (घोड़ा) और तलवार – भगवान कल्कि एक दिव्य श्वेत अश्व (घोड़े) पर सवार होकर हाथ में चमकती हुई तलवार लिए अधर्म का नाश करेंगे।
  2. स्वर्ण आभूषण और अद्भुत तेज – उनका शरीर अत्यंत कांतिमान होगा और वे दिव्य स्वर्ण आभूषण धारण करेंगे।
  3. तीक्ष्ण युद्धकला – वे एक महान योद्धा होंगे और अपनी तलवार से अत्याचारियों का अंत करेंगे।
  4. भगवान परशुराम का मार्गदर्शन – पुराणों के अनुसार, भगवान परशुराम जो चिरंजीवी (अमर) हैं, वे कल्कि को शस्त्रविद्या सिखाएंगे।

कल्कि अवतार की भविष्यवाणियाँ

श्रीमद्भागवत पुराण (12.2.18-20)

“कलौ तद्विष्णुयशसः कल्किर्नाम्न जगत्पति:।
अश्वमाशुगं आरोह्य देवदत्तं जगत्पति:।।”

इसका अर्थ है कि कलियुग के अंत में भगवान विष्णु ‘कल्कि’ के रूप में प्रकट होंगे, वे देवदत्त नामक घोड़े पर सवार होंगे और अपनी तलवार से पापियों का नाश करेंगे।

विष्णु पुराण (4.24.88-90)

“कल्कि विष्णुयशसो नृपासु जन्म प्राप्य शम्भल ग्रामे मम क्षत्रियान्तकः।”

अर्थात, भगवान कल्कि शंभल ग्राम में जन्म लेंगे और पापियों तथा अधर्मी शासकों का संहार करेंगे।


कल्कि अवतार के आने के संकेत

शास्त्रों में बताया गया है कि जब दुनिया में ये स्थितियाँ अत्यधिक बढ़ जाएंगी, तब कल्कि अवतार प्रकट होंगे:

  1. अत्यधिक पाप और अधर्म – लोग सत्य, धर्म और आचरण भूल जाएंगे।
  2. स्वार्थ और लोभ का विस्तार – लोग केवल धन, शक्ति और सुख के लिए जीएंगे।
  3. नैतिकता का पतन – स्त्रियों, बच्चों और वृद्धों के प्रति क्रूरता बढ़ जाएगी।
  4. राजाओं और शासकों का अत्याचार – सत्ता लोभी और क्रूर हो जाएगी, शासक धर्म के मार्ग से भटक जाएंगे।
  5. प्राकृतिक आपदाएँ – भूकंप, बाढ़, सूखा और महामारी जैसी घटनाएँ बढ़ जाएंगी।

कल्कि अवतार के बाद क्या होगा?

भगवान कल्कि का अवतार कलियुग के अंत में होगा और उनके प्रकट होने के बाद:

  • अधर्म का संहार होगा।
  • धर्म, सत्य और सद्गुणों की पुनः स्थापना होगी।
  • सत्ययुग (सतयुग) का आरंभ होगा, जहाँ पुनः धर्म और शांति का वास होगा।

निष्कर्ष

भगवान कल्कि का अवतार अभी नहीं हुआ है, लेकिन शास्त्रों में वर्णित लक्षणों के आधार पर कहा जाता है कि जब कलियुग अपनी चरम सीमा पर पहुँच जाएगा, तब वे अवतरित होकर धर्म की पुनर्स्थापना करेंगे। वे अधर्मियों का संहार कर सत्ययुग का आरंभ करेंगे और पूरी दुनिया में फिर से शांति, प्रेम और धार्मिकता स्थापित करेंगे।

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