Loading...

कजली तीज व्रत का महत्व

कजली तीज व्रत 2025: तिथि, पूजा विधि, महत्व और लोक परंपराएं

कजली तीज भारत में विशेष रूप से उत्तर प्रदेश, बिहार, मध्य प्रदेश और राजस्थान में श्रद्धा और भक्ति के साथ मनाया जाता है। यह पर्व भाद्रपद कृष्ण पक्ष की तृतीया तिथि को आता है और मुख्य रूप से सुहागिन महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र और दांपत्य सुख के लिए इसे करती हैं। इस दिन माता पार्वती और भगवान शिव की पूजा की जाती है।

कजली तीज व्रत 2025 की तिथि व समय
तिथि प्रारंभ: 11 अगस्त 2025, रात 10:15 बजे

तिथि समाप्त: 12 अगस्त 2025, रात 08:40 बजे

व्रत एवं पूजा का दिन: 12 अगस्त 2025 (मंगलवार)

कजली तीज व्रत का महत्व
कजली तीज का व्रत खासकर सावन के बाद आने वाली तीज के रूप में जाना जाता है। मान्यता है कि इस दिन व्रत रखने और भगवान शिव-पार्वती की आराधना करने से दांपत्य जीवन में खुशियां बनी रहती हैं और सभी वैवाहिक परेशानियां दूर होती हैं।
इस दिन महिलाएं पारंपरिक वस्त्र धारण करती हैं, मेहंदी लगाती हैं और झूला झूलने का आनंद लेती हैं।

पूजा विधि
सुबह स्नान कर व्रत का संकल्प लें।

माता पार्वती और भगवान शिव की प्रतिमा को गंगाजल से स्नान कराएं।

कुमकुम, हल्दी, फूल, धूप, दीप और बेलपत्र अर्पित करें।

महिलाएं कथा श्रवण करें और पारंपरिक गीत गाएं।

शाम को आरती करें और व्रत का समापन करें।

कजली तीज की लोक परंपराएं
इस दिन गाँव-गाँव में कजली के गीत गाए जाते हैं।

मेले और झूलों का आयोजन होता है।

नवविवाहित महिलाएं विशेष रूप से अपने मायके जाकर यह व्रत करती हैं।

Scroll to Top