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 होली का महत्व  और होलिका दहन की पूजा विधि

होली का नाम सुनते सभी के चेहरे खिल जाते है हम सभी को अपने बचपन की कहानिया याद आने लगती है की हम कैसे अपने बचपन में होली के दौरान मस्तियाँ किया करते थे सुबह होते ही गली के बच्चों के साथ मिलाकर पड़ोस की गलियों में घूम घूम कर एक दूसरे पर रंग डालना एक दूसरे पर रंग से भरे गुब्बारे फेकना और सारा दिन मस्ती करना सुबह उठ कर बड़ों से आशीर्वाद लेना भला किसे अच्छा नहीं लगेगा और इन सबसे के साथ रसोई में बनने वाले पकवानो की खुशबू जिसका इंतज़ार पूरा साल हम सभी करते थे होली बनने वाली खास गुजिया का नाम सुनते ही हमारे मुँह में पानी आ जाता था। यक़ीनन हमारी ये बाते सुनकर आप सभी को अपने बचपन की याद आ गयी होगी पर आपको पता है की होली क्यों मनाई जाती है हम सभी ने अपने बचपन में अपने बड़ों से होली से जुडी कहानिया सुनी होंगी आज हम आपको उसी कहानी की याद दिलाने जा रहे है और साथ ही साथ होलिका दहन के दौरान होने वाली पूजा विधि के बारे में भी हम आपको बताएँगे। आज के डिजिटल दौर में हम अपनी संस्कृति और सभ्यता से लगातार दूर होते जा रहे है इस ब्लॉग का उद्देश्य आपको आपकी सभ्यता और संस्कृति के बारे में जागरूक करना है ताकि हम अपने महँ पूर्वजों से मिली विरासत को अपनी आने वाली पढ़ी तक सही से पंहुचा सके। तो आईये शुरू करते है।

होलिका दहन हिंदू धर्म का एक महत्वपूर्ण पर्व है, जिसे फाल्गुन मास की पूर्णिमा को मनाया जाता है। यह पर्व बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है और भक्त प्रह्लाद तथा उनकी बुआ होलिका की पौराणिक कथा से जुड़ा हुआ है। इस दिन विशेष पूजा-अर्चना की जाती है और अग्नि में नारियल, गेंहू, चना आदि अर्पित किए जाते हैं।

होलिका दहन का पौराणिक महत्व

होलिका दहन का संबंध भक्त प्रह्लाद और उनके पिता राजा हिरण्यकश्यप की कथा से है। हिरण्यकश्यप ने भगवान विष्णु से घृणा करने के कारण अपने पुत्र प्रह्लाद को मारने की योजना बनाई। उसने अपनी बहन होलिका, जिसे आग में न जलने का वरदान प्राप्त था, को आदेश दिया कि वह प्रह्लाद को गोद में लेकर अग्नि में बैठे। लेकिन भगवान विष्णु की कृपा से प्रह्लाद सुरक्षित रहे और होलिका अग्नि में जलकर भस्म हो गई। इसी उपलक्ष्य में होलिका दहन का आयोजन किया जाता है।

होलिका दहन की पूजा विधि

1. शुभ मुहूर्त देखें: होलिका दहन के लिए शुभ मुहूर्त का चयन करना आवश्यक होता है। किसी अच्छे ज्योतिष के जानकार पुजारी से सुबह मुहूर्त अवश्य पूछे याफिर आप हमारी वेबसाइट www.sidhpeeth.in पर जाकर भी सुबह मुहूर्त पता कर सकते है   इसे पंचांग के अनुसार देखा जाता है।

2. होलिका स्थापना करें: होलिका दहन से कुछ दिन पूर्व लकड़ियों, उपलों और कंडों से होलिका का निर्माण किया जाता है।

3. पूजन सामग्री एकत्र करें: पूजा के लिए नारियल, रोली, अक्षत, हल्दी, चंदन, गेंहू, चना, गुड़, कपूर और सूखे नारियल आदि आवश्यक होते हैं।

4. होलिका की परिक्रमा करें: होलिका दहन से पहले लोग जल, रोली, अक्षत, फूल और गुड़ अर्पित करते हैं और इसकी सात परिक्रमा करते हैं।

5. अग्नि प्रज्वलित करें: होलिका की परिक्रमा करने के बाद उसे अग्नि दी जाती है।

6. विशेष मंत्रों का उच्चारण करें: इस दौरान भगवान नरसिंह और प्रह्लाद से संबंधित मंत्रों का जाप किया जाता है।

होलिका की पूजा के लाभ 

– नकारात्मक ऊर्जा का नाश होता है।

– फसल अच्छी होती है और समृद्धि आती है।

– घर-परिवार में सुख-शांति बनी रहती है।

– यह बुरी शक्तियों से बचाने में सहायक होता है।

निष्कर्ष

होलिका दहन न केवल धार्मिक बल्कि वैज्ञानिक दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण है। यह बुराई पर अच्छाई की जीत को दर्शाता है और समाज में सद्भावना व भाईचारे को बढ़ावा देता है। हमें इस पर्व को श्रद्धा और आस्था के साथ मनाना चाहिए और अपनी परंपराओं का सम्मान करना चाहिए।

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