Loading...
हनुमान

हनुमान जयंती से जुडी सम्पूर्ण जानकारी

 

हनुमान जी, जिन्हें हम सब  प्रेमपूर्वक “बजरंगबली”, “मारुति नंदन”, “राम भक्त हनुमान”, और “पवनपुत्र” जैसे नामों से पुकारते है, हिन्दू धर्म में शक्ति, भक्ति, और सेवा के प्रतीक माने जाते हैं। हनुमान जी का जन्म एक ऐसे युग में हुआ था जब धरती पर अधर्म और राक्षसों का आतंक चरम पर था। उनके अवतरण का उद्देश्य धर्म की रक्षा करना, श्रीराम के कार्य में सहायता करना और संसार को भक्ति, सेवा और निःस्वार्थ प्रेम का मार्ग दिखाना था। उनकी जन्म कथा, व्रत की विधि तथा पूजा पद्धति हिन्दू धर्म के श्रद्धालुओं के लिए अत्यंत पावन और कल्याणकारी मानी जाती है।

हालाँकि उनकी जन्म तिथि एवं जन्म स्थान को लेकर विद्वानों में मत बढ़ रहा है आज इस लेख के माध्यम से हम इन सभी विवादों की वजह को तथ्यों के साथ विश्तार से समझने की कोशिश करेंगे और साथ ही साथ आपको भगवान हनुमान की जन्म कथा पूजा विधि  एवं उनसे जुड़े कुछ अनकहे किस्सों के बारे में भी जानेंगे।

1. हनुमान जी की जन्म तिथि को लेकर विवाद

✅ मान्य जन्म तिथि (हिंदू परंपरा अनुसार):

अधिकांश हिन्दू परंपराओं के अनुसार हनुमान जी का जन्म चैत्र मास की शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि को हुआ था। इसी दिन को हनुमान जयंती के रूप में मनाया जाता है। परन्तु इस के अलावा कुछ राज्यों में हनुमान जयंती अलग अलग तिथियों पर मनाई जाती है जैसा इस चार्ट में दिखाया गया है.

 

हनुमान जी की जन्म तिथि से जुडी विभिन्न मान्यताएँ

 

संप्रदाय / स्थान जन्म तिथि तिथि का आधार
उत्तर भारत चैत्र शुक्ल पूर्णिमा हनुमान जी के जन्म की स्मृति
तमिलनाडु / केरल मार्गशीर्ष कृष्ण त्रयोदशी ज्ञान जागृति को जन्म मानते हैं
महाराष्ट्र चैत्र शुक्ल दशमी / पूर्णिमा भक्ति परंपरा
आंध्र प्रदेश / कर्नाटक मार्गशीर्ष अमावस्या / पौष क्षेत्रीय पंचांग
नाथ योगी परंपराएँ कार्तिक पूर्णिमा सिद्ध योग परंपरा

 

🤔 विवाद क्यों है?

हर क्षेत्र में अलग पंचांग और परंपरा के आधार पर जन्म का अर्थ अलग लिया गया — कोई शारीरिक जन्म, कोई ब्रह्म ज्ञान प्राप्ति, कोई बाल रूप प्रकट होना मानता है।आईये जानते है की शास्त्रों में इस बारे में क्या कहा गया है

स्कन्दपुराण में लिखा है –

यो वै चैकादशी रुद्रो हनुमान स महाकपि:।

अवतीर्ण: सहायार्थ विष्णो रमित तेजस:।। 

मतलब स्कंदपुराण में लिखा है कि चैत्र पूर्णिमा के चैत्र नक्षत्र को शिव के ग्यारहवें रूद्र ने हनुमान के रूप में विष्णु की सहायता हेतु जन्म लिया था.

उत्सव सिंधु के अनुसार कार्तिक मास में हनुमान जी का जन्म हुआ था : –

           ऊर्जस्य चासिते पक्षे स्वाल्यां भौमे कपीश्वरः ।

          मेषलग्नेऽञ्जनीगर्भाक्छिवः प्रादुरभूत् स्वयम् ॥

अर्थ– कार्तिक कृष्ण चतुर्दशी, भौमवार को स्वाति नक्षत्र और मेष लग्न में अंजनी के गर्भ से हनुमान जी के रूप में स्वयं शिवजी उत्पन्न हुए थे.

आनंद रामायण  (सार कांड 13.162–163)

चैत्रे माति सिते पक्षे हरिदिन्यां मघाऽभिधे।

नक्षत्रे स समुत्पन्नो इनुमान् रिपुखदनः।।162॥

महाचैत्रीपूर्णिमायां समुत्पन्नोऽञ्जनीसुतः।

वद‌न्ति कल्पमेदेन चुधा इत्यादि केचन ॥163।।

अर्थ – चैत्र शुक्ल एकादशी के दिन माघान नक्षत्रमें रिपु दमन हनुमान का जन्म हुना था. कुछ पण्डित कल्पभेदले चैत्र की पूर्णिमा के दिन हनुमान्‌ का शुभ जन्म हुआ, ऐसा कहते हैं.

कई शास्त्रों और धर्म ग्रंथों का अध्यन करने के बाद हमें पता चलता है की हनुमान जी के जन्म को लेकर जो तिथि भेद है वो कल्प भेद के कारण है जिसकी वजह से हनुमान जयंती की तिथियों में विभिन्नताये पाई जाती है यही नहीं उनके जन्म स्थान लेकर भी कुछ विद्वानों में मतभेद पाया जाता है आईये इस मतभेद के बारे में भी विश्तार से जानते है।

2. हनुमान जी के जन्म स्थान पर विवाद

मान्य जन्म स्थान (शास्त्रीय दृष्टिकोण):

किष्किंधा (वर्तमान हम्पी, कर्नाटक) को शास्त्रों के अनुसार हनुमान जी का जन्म स्थान माना गया है। वाल्मीकि रामायण में यह स्थान वर्णित है।परन्तु इस के अलावा भी कई अन्य स्थान जिहने महाबली हनुमान के जन्म स्थान के रूप में जाना जाता है आईये उनके बारे में विश्तार से जानते है

 

🌄 हनुमान जी के जन्म स्थान को लेकर विभिन्न दावे

 

स्थान राज्य दावा / प्रमाण
अंजनारी पर्वत (त्र्यंबकेश्वर के पास) महाराष्ट्र अंजनी माता की तपस्थली
अंजन धाम (गुमला) झारखंड अंजना गुफा — स्थानीय श्रद्धा
हंपी (किष्किंधा) कर्नाटक वाल्मीकि रामायण से मेल
अंजन पर्वत (नालंदा) बिहार प्राचीन गुफाएँ और मान्यता
तेलंगाना / आंध्र तेलंगाना/आंध्र प्रदेश स्थानीय संतों की मान्यता

हनुमान जी के जन्म स्थान को लेकर उठे विवादों की मुख्या तीन वजहें है।

  • अलग-अलग स्थानों पर “अंजनी माता की तपस्थली” और “हनुमान जी की बाल लीलाओं” से जुड़ी किंवदंतियाँ हैं।

  • हर क्षेत्र के भक्त अपने-अपने स्थान को अधिक पवित्र और प्रमुख मानते हैं।

  • कहीं-कहीं राजनीतिक/पर्यटन कारणों से भी जन्म स्थान को स्थापित करने का प्रयास हुआ।

हनुमान जी के जन्म की कथा 

आइये हम पवनसुत हनुमान जी कि जन्म कथा को चरण बद्ध तरीके से जानते है।

🧘‍♀️ पूर्वजन्म की पृष्ठभूमि

शास्त्रों के अनुसार हनुमान जी की माता अंजनी वास्तव में स्वर्ग की एक अप्सरा थीं — जिनका नाम पुंजिकस्थला था। एक बार उन्होंने एक ऋषि की तपस्या को भूल वश भंग कर दिया था जिस कारन वश, ऋषि ने उन्हें यह श्राप दिया था कि “तुम वानरी रूप में धरती पर जन्म लोगी। ऋषि के श्राप से डर कर पुंजिकस्थला ने क्षमा याचना और रोने लगी तब उनके आशुओं को देख कर ऋषि को उनपर दया आ गयी  जिसपर ऋषि ने उनसे कहा की वे अपना श्राप तो वापस नहीं ले  परन्तु उसमे कुछ परिवर्तन अवश्य कर सकते है  ऋषि ने कहा कि “तुम अपने वानरी रूप में साक्षात् त्रिलोकीनाथ महादेव के 11 वे रूद्र अवतार को अपने गर्भ से जन्म दोगी और तुम्हारा यह पुत्र सदा तुम्हारे नाम से सदा अंजनी पुत्र कहलायेगा।  उसके बल, बुद्धि , ज्ञान ,भक्ति और शक्ति के आगे बड़े -बड़े देवता भी टिक नहीं पाएंगे वो बालियों  महाबली और ज्ञानियों में महाज्ञानी कहलायेगा। दुष्ट, असुर, दानव , भूत पिशाच अदि उसके नाम से कापेंगे।

🌄 अंजनी माता की तपस्या

धरती पर जन्म लेने के बाद अंजनी माता ने अपने पति वानरराज केसरी के साथ पवित्र पर्वतों में निवास किया। वे अत्यंत पुण्यात्मा और वीर योद्धा थे। लेकिन उन्हें संतान नहीं थी।
अंजनी ने वर्षों तक पवन देव  की कठोर तपस्या की — एकाग्र होकर वन में, जल और फल खाकर वे सिर्फ शिव नाम का जाप करती रहीं।

उनकी तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान पवन देव ने स्वयं भगवन शिव के अंश को माता अंजना के गर्भ में स्थापित किया और तत पश्च्यात उनके गर्भ से भगवन हनुमान का जन्म हुआ पवन देव के आशीर्वाद से  के कारन हनुमान जी को  पवन पुत्र भी कहा जाता है

iturn0image2turn0image5turn0image6turn0image7हनुमान जयंती 2025 का पर्व शनिवार, 12 अप्रैल 2025 को मनाया जाएगा। यह दिन भगवान हनुमान के जन्मोत्सव के रूप में श्रद्धा और भक्ति के साथ मनाया जाता है। इस दिन विशेष पूजा-अर्चना, व्रत, और हनुमान चालीसा का पाठ करके भक्तजन बजरंगबली की कृपा प्राप्त करते हैं।


🗓️ हनुमान जयंती 2025 की तिथि और शुभ मुहूर्त

  • तिथि:शनिवार, 12 अप्रैल 202

  • पूर्णिमा तिथि प्रारंभ:12 अप्रैल 2025 को प्रातः 3:21 बज

  • पूर्णिमा तिथि समाप्त:13 अप्रैल 2025 को प्रातः 5:51 बज भगवान हनुमान के जन्म का समय सूर्योदय के समय माना जाता है, इसलिए सूर्योदय के समय पूजा करना शुभ माना जाता है


🛕 हनुमान जयंती की पूजा विधि

  • प्रातः स्नान और संकल्प स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें और पूजा का संकल्प ले।

  • पूजा स्थल की तैयारी एक लकड़ी की चौकी पर स्वच्छ पीला कपड़ा बिछाकर उस पर भगवान हनुमान की मूर्ति या चित्र स्थापित करे।

  • दीप प्रज्वलन घी या तेल का दीपक जलाए।

  • पंचोपचार या षोडशोपचार पूजा भगवान हनुमान को चंदन, अक्षत, पुष्प, धूप, दीप, नैवेद्य आदि अर्पित करे।

  • हनुमान चालीसा और मंत्र जाप हनुमान चालीसा का पाठ करें और “ॐ हनुमते नमः” मंत्र का जाप करे।

  • आरती और प्रसाद वितरण हनुमान जी की आरती करें और प्रसाद बांटे।

📿 हनुमान जयंती के दिन विशेष उपाय

  • इस दिन व्रत रखकर हनुमान जी की पूजा करने से भय, पीड़ा और संकटों से मुक्ति मिलती ै।- हनुमान चालीसा का 108 बार पाठ करने से विशेष फल की प्राप्ति होती ै।- बजरंग बली को सिंदूर और चमेली का तेल अर्पित करना शुभ माना जाता ै।- इस दिन राम नाम का जाप करना अत्यंत फलदायी होता ै।

इसी के साथ हमारा यह लेख समाप्त होता है हमारा उद्देश्य लोगो को उनके धर्म के प्रति जागरूक करना तथा हमारे लोगो को भ्रांतियों से बचाना है। यदि आपको हमारा यह लेख अच्छा लगा होतो  हमें अपनी राय अवश्य भेजे।

 

Scroll to Top