
अमावस्या का महत्व
स्नान-दान की अमावस्या (29 मार्च)
स्नान-दान की अमावस्या हिंदू धर्म में अत्यंत महत्वपूर्ण मानी जाती है। इस दिन विशेष रूप से पवित्र नदियों, सरोवरों और तीर्थस्थलों में स्नान करके दान-पुण्य करने की परंपरा है। ऐसा माना जाता है कि इस दिन किए गए स्नान, दान, जप, तप और पिंडदान से कई गुना अधिक पुण्य फल प्राप्त होता है। यह अमावस्या वर्ष में कई बार आती है, लेकिन माघ, कार्तिक और वैशाख मास की अमावस्या को इसका विशेष महत्व बताया गया है।
स्नान-दान की अमावस्या का महत्व
- पुण्य प्राप्ति का दिन – इस दिन गंगा, यमुना, नर्मदा, गोदावरी, और अन्य पवित्र नदियों में स्नान करने से पापों का नाश होता है।
- पूर्वजों की आत्मा की शांति – इस दिन पितरों के निमित्त तर्पण, पिंडदान और ब्राह्मण भोजन कराने से पूर्वजों की आत्मा को शांति मिलती है।
- दान-पुण्य का विशेष फल – इस दिन अन्न, वस्त्र, तिल, गुड़, घी, और अन्य जरूरतमंद वस्तुएं दान करने से कई जन्मों के दोष मिटते हैं।
- ग्रह दोष निवारण – स्नान-दान की अमावस्या पर किए गए धार्मिक कार्यों से राहु, केतु, शनि और अन्य अशुभ ग्रहों के प्रभाव को कम किया जा सकता है।
- आध्यात्मिक उन्नति – इस दिन उपवास, ध्यान, जप, और भगवान की आराधना करने से आत्मा की शुद्धि होती है और ईश्वर की कृपा प्राप्त होती है।

स्नान-दान की अमावस्या की पूजा-विधि
1. स्नान विधि:
✔ प्रातःकाल सूर्योदय से पहले उठकर किसी पवित्र नदी, सरोवर या घर पर गंगाजल युक्त जल से स्नान करें।
✔ स्नान के दौरान “ॐ गंगे च यमुने चैव गोदावरी सरस्वति। नर्मदे सिंधु कावेरी जलास्मिन्सन्निधिं कुरु।।” मंत्र का जप करें।
✔ स्नान के बाद सूर्यदेव को अर्घ्य दें और पितरों के निमित्त जल अर्पित करें।
2. दान-पुण्य कर्म:
✔ इस दिन ब्राह्मणों, गरीबों, और जरूरतमंदों को अन्न, वस्त्र, और धन का दान करें।
✔ तिल, गुड़, कंबल, तेल, आंवला, और धातु से बनी चीजों का दान विशेष रूप से शुभ माना जाता है।
✔ गौदान (गाय का दान) और अन्नदान का विशेष महत्व होता है।
3. व्रत और पूजा:
✔ इस दिन उपवास रखकर भगवान विष्णु, शिव, और सूर्य देव की पूजा करें।
✔ श्रीमद्भगवद्गीता, विष्णु सहस्रनाम, और शिव स्तोत्र का पाठ करें।
✔ शाम को दीपदान करें और भगवान की आरती करें।

कौन-कौन सी अमावस्या पर स्नान-दान का महत्व अधिक होता है?
- माघ अमावस्या – प्रयागराज के त्रिवेणी संगम में स्नान का विशेष महत्व।
- कार्तिक अमावस्या – दीपावली पर किया गया स्नान-दान अत्यंत शुभकारी होता है।
- वैशाख अमावस्या – इस दिन किए गए दान से जन्म-जन्मांतर के पापों से मुक्ति मिलती है।
- आषाढ़ और श्रावण अमावस्या – इस दिन शिवजी की पूजा करने से विशेष लाभ मिलता है।
निष्कर्ष
स्नान-दान की अमावस्या आत्मिक और पितृ शांति के लिए अत्यंत शुभ मानी जाती है। इस दिन स्नान, दान, और जप-तप करने से जीवन में सकारात्मक ऊर्जा आती है, पितरों का आशीर्वाद प्राप्त होता है और पापों का क्षय होता है। प्रत्येक व्यक्ति को इस शुभ अवसर का लाभ उठाकर धर्म और आध्यात्म की ओर अग्रसर होना चाहिए।
