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हरी का अवतार

सृस्टि की रक्षा हेतु

विष्णु अवतार: सृष्टि की रक्षा हेतु

भगवान विष्णु को “पालनहार” कहा जाता है, जो सृष्टि की रक्षा और धर्म की स्थापना के लिए समय-समय पर विभिन्न अवतार लेते हैं। भगवद गीता में भगवान श्रीकृष्ण ने कहा है:

यदा यदा हि धर्मस्य ग्लानिर्भवति भारत।
अभ्युत्थानमधर्मस्य तदात्मानं सृजाम्यहम्॥
(श्रीमद्भगवद्गीता – अध्याय 4, श्लोक 7)

📖 अर्थ: जब-जब धर्म की हानि होती है और अधर्म बढ़ता है, तब-तब मैं स्वयं प्रकट होकर सृष्टि की रक्षा करता हूँ।


भगवान विष्णु के 10 प्रमुख अवतार (दशावतार)

1. मत्स्य अवतार (Fish Incarnation) – सतयुग

📖 कथा:
प्रलय के समय जब जल ही जल था, तब मनु ने भगवान से सहायता मांगी। भगवान विष्णु ने मत्स्य रूप में प्रकट होकर मनु और सप्तऋषियों को एक नाव में बैठाकर वेदों की रक्षा की और सृष्टि को दोबारा आरंभ करने में सहायता की।

🛡 उद्देश्य: प्रलय से सृष्टि की रक्षा और वेदों को असुरों से बचाना।


2. कूर्म अवतार (Tortoise Incarnation) – सतयुग

📖 कथा:
जब देवताओं और असुरों ने समुद्र मंथन किया, तो मंदराचल पर्वत डूबने लगा। भगवान विष्णु ने कच्छप (कूर्म) रूप धारण कर अपनी पीठ पर पर्वत को सहारा दिया, जिससे अमृत प्राप्त हुआ।

🛡 उद्देश्य: देवताओं को अमृत दिलाना और धर्म की स्थापना करना।


3. वराह अवतार (Boar Incarnation) – सतयुग

📖 कथा:
असुर हिरण्याक्ष ने पृथ्वी को पाताल में छिपा दिया था। भगवान विष्णु ने वराह (शूकर) रूप धारण कर समुद्र में प्रवेश किया, हिरण्याक्ष का वध किया और पृथ्वी को पुनः स्थापित किया।

🛡 उद्देश्य: पृथ्वी को बचाना और अधर्म का नाश करना।


4. नरसिंह अवतार (Half-man Half-lion) – सतयुग

📖 कथा:
असुर हिरण्यकशिपु ने कठोर तपस्या कर अमरता का वरदान प्राप्त किया। उसका पुत्र प्रह्लाद विष्णु भक्त था, जिसे मारने के लिए हिरण्यकशिपु ने अनेक प्रयास किए। भगवान विष्णु ने नरसिंह (आधा सिंह-आधा मानव) रूप धारण कर, शाम के समय, स्तंभ से प्रकट होकर हिरण्यकशिपु का वध किया।

🛡 उद्देश्य: भक्त प्रह्लाद की रक्षा और अधर्म का नाश।


5. वामन अवतार (Dwarf Incarnation) – त्रेतायुग

📖 कथा:
दानवीर बलि ने तीनों लोकों पर अधिकार कर लिया था। भगवान विष्णु ने वामन (बौने ब्राह्मण) रूप में आकर बलि से तीन पग भूमि मांगी। पहले पग में धरती, दूसरे में आकाश नाप लिया और तीसरा पग बलि के सिर पर रखकर उसे पाताल भेज दिया।

🛡 उद्देश्य: देवताओं को स्वर्ग का राज्य वापस दिलाना।


6. परशुराम अवतार – त्रेतायुग

📖 कथा:
जब क्षत्रिय राजाओं ने अधर्म और अत्याचार बढ़ा दिया, तब भगवान विष्णु ने परशुराम के रूप में जन्म लिया और अपने परशु (फरसा) से 21 बार क्षत्रियों का संहार किया।

🛡 उद्देश्य: अन्यायी राजाओं का नाश और धर्म की रक्षा।


7. श्रीराम अवतार – त्रेतायुग

📖 कथा:
रावण के अत्याचारों से धरती त्रस्त थी। भगवान विष्णु ने अयोध्या के राजा दशरथ के पुत्र श्रीराम के रूप में जन्म लिया। उन्होंने रावण का वध कर धर्म की स्थापना की।

🛡 उद्देश्य: अधर्म के अंत के लिए मर्यादा पुरुषोत्तम रूप में आदर्श जीवन प्रस्तुत करना।


8. श्रीकृष्ण अवतार – द्वापरयुग

📖 कथा:
मथुरा के अत्याचारी राजा कंस का वध करने के लिए भगवान विष्णु ने कृष्ण के रूप में जन्म लिया। उन्होंने महाभारत युद्ध में अर्जुन को गीता का उपदेश देकर धर्म की स्थापना की।

🛡 उद्देश्य: अधर्म का नाश, भक्तों की रक्षा और कर्म का सिद्धांत स्थापित करना।


9. बुद्ध अवतार – कलियुग

📖 कथा:
जब हिंसा और यज्ञों में बलि देने की प्रथा बढ़ गई, तब भगवान विष्णु ने गौतम बुद्ध के रूप में जन्म लिया और अहिंसा परमो धर्म का संदेश दिया।

🛡 उद्देश्य: अहिंसा, करुणा और सत्य का प्रचार।


10. कल्कि अवतार – भविष्य (कलियुग का अंत)

📖 कथा:
कलियुग में जब अधर्म अपनी चरम सीमा पर होगा, तब भगवान विष्णु कल्कि अवतार लेकर प्रकट होंगे और पापियों का नाश करेंगे, जिससे पुनः सतयुग का आरंभ होगा।

🛡 उद्देश्य: कलियुग का अंत और धर्म की पुनः स्थापना।


निष्कर्ष:

भगवान विष्णु ने हर युग में सृष्टि की रक्षा के लिए अवतार लिया और धर्म की स्थापना की। उनके दशावतार हमें सिखाते हैं कि जब भी अधर्म बढ़ता है, तब परमात्मा स्वयं प्रकट होकर संसार की रक्षा करते हैं।

🙏 “जो भी भगवान विष्णु की कथा श्रद्धा से सुनता या पढ़ता है, उसे जीवन में सुख, शांति और मोक्ष की प्राप्ति होती है।” 🕉✨

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