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(भगवान विष्णु की कथा)

श्रीकृष्ण अवतार (भगवान विष्णु की कथा)

भगवान विष्णु ने अपने आठवें अवतार के रूप में श्रीकृष्ण का अवतार लिया। उनका अवतरण अधर्म के नाश, धर्म की स्थापना और संसार को गीता का दिव्य ज्ञान देने के लिए हुआ था।

कृष्ण जन्म की कथा

कंस, जो मथुरा का राजा था, एक अत्याचारी शासक था। जब उसकी बहन देवकी का विवाह वसुदेव से हुआ, तो आकाशवाणी हुई कि देवकी का आठवाँ पुत्र कंस का वध करेगा। कंस ने भयभीत होकर देवकी-वसुदेव को कारागार में डाल दिया और उनके सभी नवजात बच्चों को मार डाला।

जब आठवें पुत्र श्रीकृष्ण का जन्म हुआ, तब अद्भुत चमत्कार हुआ। कारागार के ताले स्वयं खुल गए, पहरेदार सो गए और यमुना नदी का जल दो भागों में बँट गया। वसुदेव ने बालक कृष्ण को गोकुल में नंद बाबा और यशोदा के घर पहुँचा दिया, और बदले में यशोदा की पुत्री को कारागार ले आए।

बाल लीला और पूतना वध

गोकुल में श्रीकृष्ण ने अनेक बाल लीलाएँ कीं—

  • पूतना राक्षसी का वध (जिसे कंस ने उन्हें मारने भेजा था)
  • कालिय नाग का दमन
  • गोपियों संग रासलीला
  • माखन चोरी और यशोदा माता का विराट रूप दर्शन

कंस वध

बड़े होकर श्रीकृष्ण ने मथुरा जाकर कंस का वध किया और अपने माता-पिता को मुक्त किया।

महाभारत और गीता का उपदेश

श्रीकृष्ण ने अर्जुन को श्रीमद्भगवद्गीता का दिव्य उपदेश दिया, जिसमें उन्होंने कहा—
“जब-जब अधर्म बढ़ेगा और धर्म की हानि होगी, तब-तब मैं अवतार लेकर धर्म की स्थापना करूँगा।”

शिक्षा:

श्रीकृष्ण का अवतार हमें सत्य, भक्ति, प्रेम, कर्तव्य और धर्म का पालन करने की प्रेरणा देता है। उनका जीवन दर्शाता है कि अधर्म और अहंकार का अंत निश्चित है और धर्म की सदा विजय होती है

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