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भगवान विष्णु की कथा

(वराह अवतार)भगवान विष्णु की कथा

भगवान विष्णु के दशावतारों में से तृतीय अवतार वराह अवतार है, जिसमें उन्होंने पृथ्वी की रक्षा के लिए वराह (सूअर) का रूप धारण किया। यह अवतार तब हुआ जब असुर हिरण्याक्ष ने अपनी शक्ति के अहंकार में आकर संपूर्ण पृथ्वी को समुद्र में डुबो दिया। पृथ्वी के विनाश से देवता और ऋषिगण अत्यंत चिंतित हो गए और भगवान विष्णु से रक्षा की प्रार्थना की।

भगवान विष्णु ने विशालकाय वराह रूप धारण किया और महासागर में प्रवेश कर पृथ्वी को अपने विशाल दाँतों पर उठाया। हिरण्याक्ष ने भगवान विष्णु को युद्ध के लिए ललकारा, लेकिन वराह रूप में भगवान विष्णु ने उसे पराजित कर उसका वध कर दिया। इसके पश्चात उन्होंने पृथ्वी को समुद्र से निकालकर पुनः अपने स्थान पर स्थापित किया और ब्रह्मांड की व्यवस्था को पुनः संतुलित किया।

वराह अवतार हमें यह शिक्षा देता है कि जब भी अधर्म और विनाश बढ़ेगा, तब भगवान धर्म और सृष्टि की रक्षा के लिए अवतार लेंगे। यह अवतार पृथ्वी के प्रति सम्मान, धर्म की रक्षा और आसुरी शक्तियों के विनाश का प्रतीक माना जाता है।

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