
माता कुष्मांडा का स्वरूप
माता कुष्मांडा की पावन कथा
माता कुष्मांडा नवरात्रि के चौथे दिन पूजी जाने वाली देवी हैं। इन्हें सृष्टि की आदि शक्ति माना जाता है देवी पुराण के अनुसार, विद्यार्थियों को नवरात्रि में मां कुष्मांडा की पूजा अवश्य करनी चाहिए। इससे उनकी बुद्धि का विकास होता है।
पौराणिक मान्यता के अनुसार, माता कूष्माण्डा की आठ भुजाये और शेर की सवारी है उनके हांथों में शंख ,चक्र, गदा, तलवार अथवा खड़क जैसे कई अस्त्र शस्त्र मौजूद है उन्हें परमेश्वरी का रूप माना जाता है। ऐसा माना जाता है कि मां कुष्मांडा की पूजा करने से सभी काम पूरे होते हैं और जिन काम में रुकावट आती है, वे भी बिना किसी बाधा के पूरे हो जाते हैं। मां कुष्मांडा की पूजा करने से भक्तों को सुख और सौभाग्य मिलता है। देवी पुराण में बताया गया है कि विद्यार्थियों को नवरात्रि में मां कुष्मांडा की पूजा जरूर करनी चाहिए। मां दुर्गा उनकी बुद्धि का विकास करने में सहायक होती हैं।
सूर्य मंडल में निवास
माता कुष्मांडा सूर्य लोक के भीतर निवास करती हैं और वहीं से संपूर्ण ब्रह्मांड को ऊर्जा और प्रकाश प्रदान करती हैं। यह एकमात्र ऐसी देवी हैं जो सूर्य के प्रचंड ताप को सहन कर सकती हैं। माता के तेज से ही सूर्य, चंद्र और अन्य ग्रह प्रकाशमान होते हैं।
माँ कुष्मांडा अपने भक्तों को स्वास्थ्य, समृद्धि और शक्ति प्रदान करती हैं। उनकी कृपा से रोगों का नाश होता है, जीवन में सकारात्मक ऊर्जा आती है और सुख-समृद्धि बढ़ती है।

माता कुष्मांडा का स्वरूप
- माता कुष्मांडा का रंग गौर एवं स्वर्ण के समान चमकीला होता है।
- इनके आठ हाथ होते हैं, जिनमें कमंडल, धनुष, बाण, कमल, अमृत कलश, चक्र, गदा और जप माला होती है।
- माता सिंह पर सवार रहती हैं, जो शक्ति और साहस का प्रतीक है।
- इन्हें आदि शक्ति कहा जाता है क्योंकि इन्होंने ही ब्रह्मांड की रचना की।
- माता सूर्य मंडल के भीतर निवास करती हैं, इसलिए इनका तेज असीमित है।
माता कुष्मांडा की पूजा विधि
पूजा का शुभ मुहूर्त
- नवरात्रि के चौथे दिन प्रातः स्नान करके शुद्ध वस्त्र धारण करें।
- माता की प्रतिमा या चित्र को गंगाजल से शुद्ध करें।
- पूजा स्थल को साफ करके पीले या लाल वस्त्र बिछाएं।
पूजन सामग्री
- रोली, चंदन, कुमकुम
- अक्षत (चावल)
- पुष्प (गेंदे या कमल के फूल विशेष रूप से अर्पित करें)
- धूप, दीप, कपूर
- नारियल, मिठाई
- गाय का दूध, दही, घी, शहद और शक्कर (पंचामृत के लिए)
- मालपुए का भोग (माता को प्रिय भोजन)
पूजा की विधि
- कलश स्थापना करके भगवान गणेश का पूजन करें।
- माता कुष्मांडा का ध्यान करें और संकल्प लें कि आप नवरात्रि की पूजा विधिपूर्वक करेंगे।
- माता को रोली, कुमकुम, अक्षत और फूल अर्पित करें।
- गाय के दूध से बने मालपुए का भोग लगाएं, यह माता को अत्यंत प्रिय है।
- दुर्गा सप्तशती का पाठ करें या “ॐ देवी कुष्मांडायै नमः” मंत्र का 108 बार जाप करें।
- माता की आरती करें और घंटी बजाकर वातावरण को पवित्र करें।
- प्रसाद बांटकर और ब्राह्मणों व कन्याओं को भोजन कराकर पूजा का समापन करें।

माता कुष्मांडा की कृपा से प्राप्त लाभ
- जीवन में ऊर्जा और सकारात्मकता आती है।
- रोगों का नाश होता है और अच्छा स्वास्थ्य प्राप्त होता है।
- सुख, समृद्धि और ऐश्वर्य बढ़ता है।
- आत्मबल और आत्मविश्वास की वृद्धि होती है।
- माता की कृपा से धन, ऐश्वर्य और सफलता प्राप्त होती है।
मंत्र जाप
माता कुष्मांडा के मंत्र का जाप करने से विशेष कृपा प्राप्त होती है—
🔹 बीज मंत्र:
ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुंडायै विच्चे।
🔹 ध्यान मंत्र:
सुरासम्पूर्णकलशं रूधिराप्लुतमेव च।
दधाना हस्तपद्माभ्यां कुष्मांडा शुभदास्तु मे।।
🔹 स्तोत्र मंत्र:
या देवी सर्वभूतेषु माँ कुष्मांडा रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।
निष्कर्ष
माता कुष्मांडा का स्वरूप हमें यह सिखाता है कि सकारात्मक ऊर्जा और आत्मविश्वास से हर कार्य संभव है। माता की उपासना से शक्ति, स्वास्थ्य और समृद्धि प्राप्त होती है, और जीवन में हर प्रकार की नकारात्मकता दूर होती है।
