
महाभारत में कई रोचक और रहस्यमयी घटनाएँ हैं,
महाभारत की अनसुनी कहानी – अश्वत्थामा का शाप
परिचय
महाभारत में कई रोचक और रहस्यमयी घटनाएँ हैं, लेकिन कुछ ऐसी कहानियाँ भी हैं जो कम प्रसिद्ध हैं। उनमें से एक है अश्वत्थामा का शाप। अश्वत्थामा, जो द्रोणाचार्य के पुत्र थे, महाभारत युद्ध के बाद एक गंभीर शाप के कारण अमरता का अभिशाप झेल रहे हैं। इस ब्लॉग में हम इस अनसुनी कहानी को विस्तार से जानेंगे।
अश्वत्थामा कौन थे?
अश्वत्थामा गुरु द्रोणाचार्य के पुत्र थे और उन्हें भगवान शिव का अवतार माना जाता था। वे चिरंजीवी (अमर) थे और उनके माथे पर एक दिव्य मणि थी, जो उन्हें अजेय बनाती थी।
युद्ध के बाद अश्वत्थामा की क्रूरता
महाभारत युद्ध में जब अश्वत्थामा ने देखा कि उनके पिता की मृत्यु धोखे से कराई गई, तो उन्होंने बदला लेने का संकल्प लिया। रात में उन्होंने पांडवों के शिविर में घुसकर द्रौपदी के पाँचों पुत्रों की हत्या कर दी, यह सोचकर कि वे पाँचों पांडव हैं। जब पांडवों को इस घटना का पता चला, तो उन्होंने अश्वत्थामा को पकड़ने का निर्णय लिया।
अश्वत्थामा का शाप
भगवान श्रीकृष्ण ने अश्वत्थामा को भयंकर शाप दिया कि वे अगले 3000 वर्षों तक भटकते रहेंगे। उन्हें गंभीर बीमारियों से ग्रस्त रहना होगा, कोई भी उनकी सहायता नहीं करेगा, और वे अमर रहेंगे लेकिन मृत्यु की भीख माँगते रहेंगे। कहा जाता है कि आज भी वे पृथ्वी पर भटक रहे हैं।
निष्कर्ष
यह कथा हमें सिखाती है कि अति क्रोध और अधर्म के मार्ग पर चलने से व्यक्ति को भयानक परिणाम भुगतने पड़ते हैं। अश्वत्थामा का शाप आज भी रहस्य बना हुआ है और कई लोग मानते हैं कि वे अभी भी जीवित हैं।
