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(भगवान विष्णु की कथा)

भगवान बुद्ध (भगवान विष्णु की कथा)

भगवान बुद्ध को हिंदू धर्म में भगवान विष्णु के दसवें अवतारों (दशावतार) में से एक माना जाता है। हालांकि बौद्ध धर्म में वे एक आध्यात्मिक गुरु और धर्मप्रवर्तक माने जाते हैं, हिंदू परंपरा में उन्हें विष्णु के अवतार के रूप में स्वीकार किया गया है, जो अधर्म के नाश और धर्म की पुनः स्थापना के लिए प्रकट हुए थे।

भगवान बुद्ध विष्णु के अवतार क्यों माने जाते हैं?

1. अधर्म के नाश हेतु अवतरण – हिंदू शास्त्रों के अनुसार, जब समाज में अज्ञान, अधर्म और हिंसा बढ़ने लगी, तब भगवान विष्णु ने बुद्ध के रूप में जन्म लिया। उन्होंने अहिंसा, करुणा और सत्य की शिक्षा देकर लोगों को सही मार्ग दिखाया।

2. वेदों की गलत व्याख्या को रोकना – कुछ मान्यताओं के अनुसार, उस समय लोग वेदों की गलत व्याख्या कर रहे थे और अनावश्यक पशु बलि कर रहे थे। भगवान बुद्ध ने वेदों की इस विकृत व्याख्या का खंडन किया और अहिंसा का मार्ग अपनाने की प्रेरणा दी।

3. कलियुग में मार्गदर्शन – श्रीमद्भागवत पुराण, विष्णु पुराण और अग्नि पुराण में उल्लेख मिलता है कि भगवान विष्णु ने कलियुग में लोगों को सही दिशा में ले जाने के लिए गौतम बुद्ध के रूप में जन्म लिया।

श्रीमद्भागवत पुराण में उल्लेख

श्रीमद्भागवत पुराण (1.3.24) में कहा गया है:
“ततः कलौ सम्प्रवृत्ते, सम्मोहाय सुरद्विषाम्।
बुद्धो नाम्नाञ्जनसुतः, कीकटेषु भविष्यति॥”

इसका अर्थ है कि जब कलियुग का प्रारंभ होगा, तब भगवान बुद्ध ‘अंजनसुत’ (राजा शुद्धोधन और रानी माया के पुत्र) के रूप में प्रकट होंगे और वेदविरोधी मतों के कारण दुष्ट प्रवृत्तियों वाले लोगों को मोहित करेंगे।

बुद्ध का जीवन और शिक्षाएँ

भगवान बुद्ध, जिन्हें गौतम बुद्ध के नाम से भी जाना जाता है, का जन्म 563 ईसा पूर्व लुंबिनी (वर्तमान नेपाल) में हुआ था। उन्होंने सांसारिक मोह-माया को त्यागकर ज्ञान की खोज की और बोधगया में बोधि वृक्ष के नीचे ज्ञान प्राप्त किया। उनके द्वारा दी गई शिक्षाएँ इस प्रकार हैं:

  • अहिंसा (Non-violence) – सभी जीवों के प्रति दया और करुणा रखना।
  • मध्यम मार्ग (Middle Path) – अतिसंयम और अति भोग दोनों से बचना।
  • चार आर्य सत्य (Four Noble Truths) – जीवन दुखमय है, दुख का कारण तृष्णा (इच्छा) है, इसे समाप्त किया जा सकता है, और इसके लिए अष्टांग मार्ग का पालन करना चाहिए।
  • अष्टांग मार्ग (Eightfold Path) – सम्यक दृष्टि, सम्यक संकल्प, सम्यक वाणी, सम्यक कर्म, सम्यक आजीविका, सम्यक प्रयास, सम्यक स्मृति और सम्यक समाधि।

निष्कर्ष

भगवान बुद्ध को विष्णु का अवतार मानने का मुख्य उद्देश्य अहिंसा और धर्म का प्रचार करना था। हालांकि बौद्ध धर्म और हिंदू धर्म की मान्यताएँ अलग हैं, लेकिन हिंदू धर्म में उन्हें विष्णु का अवतार मानकर श्रद्धा की जाती है। उनकी शिक्षाएँ आज भी करोड़ों लोगों को शांति, सत्य और अहिंसा का मार्ग दिखाती हैं।

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