Loading...

चोपाई पढ़े

all

लछिमन बान सरासन आनू। सोषौं बारिधि बिसिख कृसानु॥सठ सन बिनय कुटिल सन प्रीति। सहज कृपन सन सुंदर नीति॥1॥

श्रीराम लक्ष्मण से कहते हैं— “लक्ष्मण! धनुष-बाण लाओ, मैं इस अग्निबाण से समुद्र को सुखा दूँ।क्योंकि दुष्ट से विनय (प्रार्थना)

Read More »
Scroll to Top