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भगवान विष्णु के 7वें अवतार जिन्होंने बदल दी सृष्टि

हिंदू धर्म में भगवान विष्णु को सृष्टि के पालनकर्ता के रूप में जाना जाता है। जब-जब संसार में अधर्म बढ़ता है और धर्म की हानि होती है, तब-तब भगवान विष्णु विभिन्न अवतारों में प्रकट होकर सृष्टि को सही मार्ग पर लाते हैं। दशावतारों में से यहाँ हम सातवें अवतार श्रीराम के बारे में विस्तार से चर्चा करेंगे, जिन्होंने सृष्टि की दिशा और दशा बदल दी।

श्रीराम अवतार

श्रीराम, भगवान विष्णु के सबसे प्रसिद्ध अवतारों में से एक हैं। वे अयोध्या के राजा दशरथ के पुत्र थे और उन्होंने अधर्मी रावण का वध करके धर्म की स्थापना की। श्रीराम ने अपने जीवन में आदर्श राजा, पुत्र, पति और भाई का उदाहरण प्रस्तुत किया। उन्होंने समाज को मर्यादा और कर्तव्यनिष्ठा का संदेश दिया। उनकी कथा रामायण में वर्णित है, जिसे हिंदू धर्म में अत्यंत पवित्र माना जाता है।

श्रीराम के जन्म की कथा

भगवान विष्णु ने जब देखा कि रावण के अत्याचारों से पृथ्वी कांप रही है, तब उन्होंने राजा दशरथ के घर में श्रीराम के रूप में जन्म लिया। रामचंद्र जी का जन्म अयोध्या में हुआ और वे चार भाइयों—भरत, लक्ष्मण और शत्रुघ्न के साथ पले-बढ़े।

श्रीराम का वनवास

माता कैकेयी के वरदान के कारण श्रीराम को 14 वर्षों का वनवास भोगना पड़ा। उनके साथ माता सीता और अनुज लक्ष्मण भी वन में गए। वनवास काल में उन्होंने अनेक ऋषियों की सहायता की और कई राक्षसों का वध किया।

सीता हरण और रावण वध

लंका का राजा रावण माता सीता का हरण कर ले गया, जिससे भगवान राम ने वानर सेना और भक्त हनुमान की सहायता से लंका पर चढ़ाई की। 14 दिनों के भीषण युद्ध के बाद उन्होंने रावण का वध किया और धर्म की स्थापना की।

श्रीरामराज्य की स्थापना

लंका विजय के बाद श्रीराम अयोध्या लौटे और रामराज्य की स्थापना की। यह काल स्वर्णयुग माना जाता है, जिसमें न्याय, धर्म और सत्य का वास था। श्रीराम ने अपने शासनकाल में सभी प्रजा को समान रूप से देखा और समाज में नैतिक मूल्यों को स्थापित किया।

निष्कर्ष

भगवान विष्णु के सातवें अवतार श्रीराम ने सृष्टि को अधर्म से मुक्त कर धर्म की पुनः स्थापना की। उनकी कथा न केवल धार्मिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, बल्कि उनके आदर्शों और मर्यादाओं से हमें जीवन में सही मार्ग पर चलने की प्रेरणा मिलती है। श्रीराम का जीवन प्रत्येक मानव के लिए एक उदाहरण है कि कैसे कठिन परिस्थितियों में भी धर्म और सत्य का पालन किया जाए।

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