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Vibrant and intricately designed Ganesh statue in outdoor festival setting.

गणपति स्तोत्र

श्लोक 1

🌺 || प्रणम्य शिरसा देवं, गौरीपुत्रं विनायकम्।
🌺 भक्तवासं स्मरे नित्यम्, आयुः कामार्थ सिद्धये ||

🔹 अर्थ:
मैं भगवान गणेश को नमन करता हूँ,
जो माता गौरी के पुत्र हैं और समस्त विघ्नों का नाश करने वाले हैं।
मैं श्रद्धा से उनकी शरण लेता हूँ,
ताकि मेरा जीवन दीर्घायु, सफल और इच्छाओं से परिपूर्ण हो।


श्लोक 2

🌺 || प्रथमं वक्रतुण्डं च, एकदंतं द्वितीयकम्।
🌺 तृतीयं कृष्णपिंगाक्षं, गजवक्त्रं चतुर्थकम् ||

🔹 अर्थ:
1️⃣ पहला रूप – जो टेढ़े सूंड वाले हैं।
2️⃣ दूसरा रूप – जिनका एक दंत टूटा हुआ है।
3️⃣ तीसरा रूप – जिनकी सुंदर आँखें काले, भूरे और लाल रंग की हैं।
4️⃣ चौथा रूप – जिनका स्वरूप विशालकाय है।


श्लोक 3

🌺 || लम्बोदरं पंचमं च, षष्ठं विकटमेव च।
🌺 सप्तमं विघ्नराजेन्द्रं, धूम्रवर्णं तथाष्टमम् ||

🔹 अर्थ:
5️⃣ पाँचवां रूप – बड़े पेट वाले, जो समृद्धि का प्रतीक हैं।
6️⃣ छठा रूप – जो दुष्टों का नाश करते हैं।
7️⃣ सातवां रूप – जो समस्त विघ्नों को हरने वाले हैं।
8️⃣ आठवां रूप – जिनका शरीर धुएँ के रंग जैसा है।


श्लोक 4

🌺 || नवमं भालचन्द्रं च, दशमं तु विनायकम्।
🌺 एकादशं गणपतिं, द्वादशं तु गजाननम् ||

🔹 अर्थ:
9️⃣ नौवां रूप – जिनके मस्तक पर सुंदर चंद्रमा सुशोभित है।
🔟 दसवां रूप – जो समस्त दुखों का अंत करने वाले हैं।
1️⃣1️⃣ ग्यारहवां रूप – जो भगवान शिव की सेना के वीर नायक हैं।
1️⃣2️⃣ बारहवां रूप – जिनका मुख हाथी के समान है।


श्लोक 5

🌺 || द्वादशैतानि नामानि, त्रिसंध्यं यः पठेन्नरः।
🌺 न च विघ्नभयं तस्य, सर्वसिद्धिकरं परम् ||

🔹 अर्थ:
🌟 जो श्रद्धा से भगवान गणेश के इन 12 नामों का तीन बार प्रतिदिन जाप करता है,
वह समस्त बाधाओं से मुक्त होकर अपने सभी लक्ष्यों को प्राप्त कर सकता है।


श्लोक 6

🌺 || विद्यार्थी लभते विद्याम्, धनार्थी लभते धनम्।
🌺 पुत्रार्थी लभते पुत्रान्, मोक्षार्थी लभते गतिम् ||

🔹 अर्थ:
📖 ज्ञान के साधक को ज्ञान प्राप्त होता है।
💰 धन के इच्छुक को धन की प्राप्ति होती है।
👶 संतान की इच्छा रखने वाले को संतान सुख मिलता है।
🕉 मोक्ष की कामना करने वाले को परम गति प्राप्त होती है।


श्लोक 7

🌺 || जपेद गणपति स्तोत्रं, षड्भिर्मासैः फलम् लभेत।
🌺 संवत्सरेण सिद्धिं च, लभते नात्र संशयः ||

🔹 अर्थ:
🙏 जो व्यक्ति नियमित रूप से इस स्तोत्र का जाप करता है,
छः महीने में उसके जीवन में सकारात्मक परिवर्तन आने लगते हैं,
और एक वर्ष में उसकी समस्त इच्छाएँ पूर्ण हो जाती हैं।


श्लोक 8

🌺 || अष्टाभ्यो ब्राह्मणेभ्यश्च, लिखित्वा यः समर्पयेत।
🌺 तस्य विद्या भवेत्सर्वा, गणेशस्य प्रसादतः ||

🔹 अर्थ:
📜 जो इस स्तोत्र को लिखकर आठ विद्वानों को भेंट करता है,
उसे भगवान गणेश की कृपा से समस्त ज्ञान एवं समृद्धि प्राप्त होती है।


🙏 गणपति बप्पा मोरया! 🙏

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