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तिथि, महत्व, व्रत-विधि और पारण समय

हरिदेव एकादशी (अजा एकादशी) 2025: तिथि, महत्व, व्रत-विधि और पारण समय

परिचय — आस्था की पवित्र एकादशी

अजा एकादशी भाद्रपद मास की कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि है, जो भगवान विष्णु को समर्पित एक अत्यंत पवित्र व्रत माना जाता है। यह व्रत पापों की क्षमा, मोक्ष की प्राप्ति, मानसिक शांति और समृद्धि की ओर ले जाता है।


व्रत का समय (2025):

  • एकादशी तिथि की शुरुआत: 18 अगस्त 2025, शाम 5:22 बजे

  • एकादशी तिथि का अंत: 19 अगस्त 2025, दोपहर 3:32 बजे

  • व्रत पारण (Parana): 20 अगस्त 2025, सुबह 5:53 बजे से 8:29 बजे तक


व्रत का महत्व और पौराणिक कथा

किंग हरिश्चंद्र, जिन्होंने अपनी सत्यनिष्ठा और धर्म के बल पर अपने राज्य और परिवार को पुनः प्राप्त किया था, के जीवन की कथा इस एकादशी से जुड़ी है। व्रत करने से भक्तों को जीवन में सफलता, मोक्ष और आध्यात्मिक उन्नति मिलती है।


पूजा-विधि और नियम

  1. व्रत से पूर्व दिन (दशमी) से ब्रह्मचर्य का पालन करें और सात्विक भोजन करें; तामसिक पदार्थों से दूर रहें।

  2. एकादशी के दिन सूर्योदय पूर्व स्नान करें और व्रत की प्रारंभिक पूजा करें।

  3. पूजा सामग्री: भगवान विष्णु और लक्ष्मी की आराधना सामग्री—तुलसीपत्र, पंचामृत, फूल, फल, ऊँ नमो भगवते वासुदेवाय मंत्र, विष्णु सहस्रनाम आदि।

  4. व्रत के दौरान दिन में आलस्य, झूठ, क्रोध, विवाद से बचें। चावल और विशेष अनाज का सेवन वर्जित है।

  5. रात्रि में जागरण करें, भगवान की भजन-कीर्तन व कथा सुनें।


पारण विधि

  • Parana केवल द्वादशी तिथि की शुरुआत में ही किया जाना चाहिए, यानी 20 अगस्त सुबह 5:53 बजे से 8:29 बजे तक।

  • स्नान कर भगवान विष्णु–लक्ष्मी की पूजा करें, तुलसी-प्रसाद लें, दान करें और तत्पश्चात भोजन ग्रहण करें।


व्रत का लाभ

  • पापों की क्षमा और मानसिक शांति मिलती है।

  • जीवन में सुख, समृद्धि और वैभव की प्राप्ति होती है।

  • आत्म-उन्नति का मार्ग प्रशस्त होता है और मोक्ष की संभावना सुदृढ़ होती है।

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