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श्री कृष्ण जन्माष्टमी 2025, शनिवार, 16 अगस्त 2025 को मनाई जाएगी।

श्री कृष्ण जन्माष्टमी 2025: तिथि, महत्व, कथा और पूजा विधि

तिथि और समय
श्री कृष्ण जन्माष्टमी 2025, शनिवार, 16 अगस्त 2025 को मनाई जाएगी।

  • अष्टमी तिथि प्रारंभ: 16 अगस्त 2025, सुबह 06:39 बजे

  • अष्टमी तिथि समाप्त: 17 अगस्त 2025, सुबह 07:54 बजे

  • रोहिणी नक्षत्र प्रारंभ: 16 अगस्त 2025, दोपहर 01:15 बजे

  • रोहिणी नक्षत्र समाप्त: 17 अगस्त 2025, दोपहर 02:42 बजे


जन्माष्टमी का महत्व

श्री कृष्ण जन्माष्टमी भगवान विष्णु के आठवें अवतार श्री कृष्ण के जन्मोत्सव के रूप में मनाई जाती है। धार्मिक मान्यता है कि द्वापर युग में, भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि और रोहिणी नक्षत्र में, मथुरा की कारागार में देवकी के गर्भ से श्री कृष्ण का जन्म हुआ था। उन्होंने अत्याचार के अंत और धर्म की स्थापना के लिए पृथ्वी पर अवतार लिया।


जन्माष्टमी की कथा

मथुरा के राजा कंस अपनी बहन देवकी और उनके पति वसुदेव को कारागार में बंद कर देता है क्योंकि भविष्यवाणी होती है कि देवकी का आठवां पुत्र उसकी मृत्यु का कारण बनेगा। जब श्री कृष्ण का जन्म हुआ, तो भगवान की कृपा से कारागार के द्वार खुल गए और वसुदेव जी बालकृष्ण को लेकर गोकुल पहुंचे, जहां यशोदा और नंद बाबा ने उनका पालन-पोषण किया। आगे चलकर श्री कृष्ण ने मथुरा जाकर कंस का वध किया और धर्म की स्थापना की।


व्रत और पूजा विधि

  1. स्नान और संकल्प – सुबह स्नान कर व्रत का संकल्प लें।

  2. पूजा स्थान सजाएं – भगवान कृष्ण के बाल स्वरूप की मूर्ति को झूले में रखें।

  3. अभिषेक – दूध, दही, घी, शहद और गंगाजल से पंचामृत अभिषेक करें।

  4. भोग अर्पण – मक्खन, मिश्री, फल और माखन-मिश्री का भोग लगाएं।

  5. भजन-कीर्तन – पूरे दिन भक्ति गीत गाएं और श्री कृष्ण की लीलाओं का स्मरण करें।

  6. मध्यरात्रि पूजा – रात 12 बजे जन्मोत्सव मनाएं, आरती करें और प्रसाद बांटें।


जन्माष्टमी पर विशेष परंपराएं

  • दही-हांडी उत्सव – महाराष्ट्र में यह त्योहार दही-हांडी फोड़कर मनाया जाता है।

  • झांकी सजाना – मंदिरों और घरों में श्री कृष्ण की लीलाओं की झांकियां सजाई जाती हैं।

  • रासलीला आयोजन – जगह-जगह रासलीला और कृष्ण चरित्र का मंचन किया जाता है।

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