
महत्व, पूजा विधि और शुभ मुहूर्त
स्नान-दान की पूर्णिमा, प्रदोष व्रत और रक्षा बंधन 2025: तिथि, महत्व व पूजा विधि
1. स्नान-दान की पूर्णिमा का महत्व
श्रावण माह की पूर्णिमा को गंगा, यमुना या पवित्र नदियों में स्नान कर दान-पुण्य करने से पापों का नाश और पुण्य की प्राप्ति होती है। इस दिन तिल, वस्त्र, अन्न और जल का दान विशेष फल देता है।
पूजा विधि:
सूर्योदय से पहले स्नान करें।
तिल और जल अर्पित करें।
गरीबों और ब्राह्मणों को दान दें।
2. प्रदोष व्रत का महत्व
प्रदोष व्रत भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए किया जाता है। यह व्रत शाम के समय संध्या बेला में किया जाता है।
पूजा विधि:
व्रत पूरे दिन रखें।
सूर्यास्त के बाद शिवलिंग पर जल, दूध और बेलपत्र चढ़ाएँ।
ओम नमः शिवाय का जाप करें।
3. रक्षा बंधन का महत्व
रक्षा बंधन भाई-बहन के अटूट रिश्ते का पर्व है। बहनें अपने भाइयों की कलाई पर राखी बांधकर उनकी लंबी उम्र की कामना करती हैं, और भाई बहनों की रक्षा का वचन देते हैं।
पूजा विधि:
शुभ मुहूर्त में राखी बांधें।
तिलक करें, मिठाई खिलाएँ।
भाई बहन को उपहार दें।
📜 शुभ मुहूर्त (रक्षा बंधन 2025)
राखी बांधने का समय: सुबह 8:15 बजे से शाम 6:45 बजे तक
भद्राकाल: रात में रहेगा, इसलिए दिन में बांधना शुभ है।
