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2 सितंबर 2025

2 सितंबर 2025: सोमवती अमावस्या और पिठौरी अमावस्या का पावन संयोग

1. सोमवती अमावस्या का महत्व
जब अमावस्या तिथि सोमवार को आती है, तब उसे सोमवती अमावस्या कहा जाता है। यह तिथि पवित्र स्नान, व्रत, पितरों के तर्पण और पुण्य अर्जन के लिए श्रेष्ठ मानी जाती है। विशेष रूप से गंगा, यमुना, सरस्वती या किसी तीर्थ में स्नान कर पुण्य फल प्राप्त किया जाता है।

✨ इस दिन के विशेष कार्य:
पीपल वृक्ष की पूजा व परिक्रमा (108 बार)

ब्राह्मणों को भोजन व दान

पितरों के नाम पर तर्पण

व्रत रखने वाली महिलाओं के लिए पति की लंबी उम्र का आशीर्वाद

👩‍👧‍👦 2. पिठौरी अमावस्या का महत्व
पिठौरी अमावस्या विशेष रूप से संतान की लंबी उम्र, सुख और समृद्धि के लिए मनाई जाती है। इसे मुख्य रूप से माताएं अपने बच्चों के लिए उपवास करके मनाती हैं। देवी पिठोरी माता की पूजा करके 64 योगिनियों का आवाहन किया जाता है और संतान रक्षा की कामना की जाती है।

🪔 पूजा विधि:
घर में सात्विक भोजन बनाकर देवी पिठोरी को भोग लगाएं

मिट्टी की मूर्तियां बनाकर उनका पूजन करें

रात को कथा सुनें और अगले दिन व्रत का पारण करें

💫 2 सितंबर 2025 का धार्मिक प्रभाव
यह दिन संतान, पितृ, और वैवाहिक जीवन की रक्षा हेतु अत्यंत शुभ माना गया है।

सोमवती अमावस्या और पिठौरी अमावस्या एकसाथ आने से पितृ दोष निवारण और संतान रक्षा दोनों के लिए श्रेष्ठ योग बनता है।

🧘‍♀️ धार्मिक संदेश
यह दिन हमें यह सिखाता है कि जीवन में पूर्वजों का सम्मान, संतान की रक्षा, और सद्कर्मों का पालन ही सच्ची पूजा है। अमावस्या तिथि आत्मशुद्धि, क्षमा और मोक्ष के द्वार खोलने का माध्यम है।

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