मां दुर्गा की कृपा प्राप्ति के सरल उपाय

भारतीय संस्कृति में माँ का स्थान सदा ईश्वर से ऊपर रखा गया है हमारे सभी महापुरुषों जैसे छत्रपति शिवाजी महाराज, छत्रपति संभाजी महाराज, महाराणा प्रताप ,पृथ्वीराज चौहान से लेकर चन्द्रगुप्त मौर्या और चाणक्य जैसे महान व्यक्ति रहे हो या हमारे आदर्श भगवान कृष्ण और भगवान राम रहे हो सबने हमें एक स्वर से यही शिक्षा दी है की “माता भूमिः पुत्रोऽहं पृथिव्याः। ” अर्थात ये धरती हमारी माँ है और हम इसके पुत्र है भगवान राम ने यहाँ तक कहाँ है की “जननी जन्मभूमिश्च स्वर्गादपि गरीयसी” “मित्र, धन्य, धान्य आदि का संसार में बहुत अधिक सम्मान है। (किन्तु) माता और मातृभूमि का स्थान स्वर्ग से भी ऊपर है। —जिसका स्थान समस्त देवीऔर देवताओं में सबसे ऊंचा है जो समस्त संसार की माता है। आइये आज हम मां दुर्गा की कृपा प्राप्ति के सरल उपाय के बारे में जानते है।


माता महाकाली की पूजा विधि
माँ दुर्गा को शक्ति और रक्षा की देवी माना जाता है। यदि आप जीवन में आत्मबल और विपत्तियों से सुरक्षा चाहते हैं, तो प्रतिदिन सुबह स्नान करके माँ दुर्गा का ध्यान करें। “ॐ दुं दुर्गायै नमः” मंत्र का 108 बार जाप करें। इससे नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है और आत्मविश्वास बढ़ता है।

माता महालक्ष्मी की पूजा विधि
माँ लक्ष्मी धन, वैभव और ऐश्वर्य की देवी हैं। शुक्रवार को माँ लक्ष्मी की पूजा करने से घर में धन की वर्षा होती है। कुछ विशेष उपाय:
शुक्रवार को सफेद वस्त्र धारण करें और खीर या मिष्ठान्न का भोग लगाएं।
माँ लक्ष्मी को कमल के फूल अर्पित करें।
“ॐ श्रीं महालक्ष्म्यै नमः” मंत्र का जाप करें।

माता सरस्वती की पूजा विधि
ज्ञान और विद्या की प्राप्ति के लिए माँ सरस्वती की आराधना करें। विशेष रूप से विद्यार्थियों और क्रिएटिव कार्यों में लगे लोगों के लिए यह उपाय उपयोगी है:
बसंत पंचमी के दिन माँ सरस्वती की पूजा अवश्य करें।
हर गुरुवार को माँ सरस्वती को सफेद पुष्प और अक्षत चढ़ाएं।
“ॐ ऐं सरस्वत्यै नमः” मंत्र का जाप करें।
नवरात्रि व्रत और कन्या पूजन
नवरात्रि के अंतिम दिन या अष्टमी/नवमी को कन्या पूजन का विशेष महत्व होता है। इस दिन नौ कन्याओं को माँ दुर्गा के नौ रूपों का प्रतीक मानकर उनके चरण धोकर उन्हें भोजन कराया जाता है साथ ही साथ एक बालक को बैठाने का रिवाज़ रहा है ऐसा माना जाता है बालक को हनुमान जी का स्वरुप माना जाता है कन्याओं को भोजन कराने के साथ साथ उन्हें उपहार भी दिए जाते हैं। यह पूजा स्त्री शक्ति के सम्मान का प्रतीक मानी जाती है।

दान और सेवा
श्रीमद्भागवत महापुराण में वर्णित कथा के अनुसार, जब भगवान श्रीकृष्ण ने धरती को छोड़ा, तभी कलियुग ने पृथ्वी पर प्रवेश किया। श्रीमद्भागवत महापुराण की कथा के अनुसार सतयुग के समय में धर्म के चार मूल आधार थे सत्य , दया, भाईचारा और दान जिसमे से कल युग में एक मात्रा दान ही शेष बचा है यदि आप भी अपने जीवन में अपने आराध्य को प्रसन्न करना चाहते है तो गरीबों जरूरत मंदों एवं धर्म कार्यों में लगे लोगो की सहायता कर के आप अपने आराध्य को आसानी से प्रसन्न कर सकते है ऐसा माना जाता है की ऐसा करने से देवी देवताओं की विशेष कृपा लोगो को प्राप्त होती है।

