
माता कालरात्रि की पूजा से मिलने वाले लाभ
माता कालरात्रि की पौराणिक कथा एवं पूजा विधि
शास्त्रों के मुताबिक एक बार एक रक्तबीज नमक असुर था जिसने ब्रहम देव की कठिन तपश्या कर उनसे यह वर प्राप्त किया की उसके रक्त की एक बूँद भी यदि धरती पर गरती है तो उसकी उस एक बूंद सहस्त्रों रक्तबीज उत्त्पन हो जायेंगे जो बिलकुल उसी की तरह शक्ति शाली और बलवान होंगे। जिसके बाद वह स्वयं को सर्वशक्ति मान समझ आम लोगो पर अत्याचार करने लगा उनसे अपने बल और पराक्रम से देवताओं को भी हरा दिया। उसके भय से देवराज इंद्रा को स्वर्ग छोड़ कर भागना पड़ा।
जिसको पराजित करने के लिए माँ दुर्गा ने देवी चामुंडा का रूप धरा परन्तु कई वर्षों तक युद्ध करने के पश्च्यात भी वह उसी पराजित नहीं कर पाई क्यों की उसके शरीर से गिरने वाली हर एक बूँद से शहस्त्रों रक्तबीज उत्त्पन हो जाते थे. फिर माता ने इस दुष्ट का अंत करने के लिए माता कालरात्रि का रूप धरा। माता कालरात्रि ने रक्तबीज का रक्त पान करके उस दुष्ट का अंत किया।
परन्तु रक्त बीज का अंत करने के पाच्यात भी माता की रक्त पिपाशा शांत नहीं हुई
और उनका क्रोध भी शांत नहीं हुआ उनके क्रोध को शांत करने के लिए भगवान भोलेनाथ ने बटुकेश्वर अवतार लिया जिसमे वे एक छोटे बालक के रूप में आकर माँ काली से लिपट गए उनके इस मासूम चेहरे को देख माता ह्रदय ममता से भर गया और वे शांत हो गयी।
माता के इस रूप को महाकाली के नाम से जाता है यह तंत्र मंत्र की देवी के तौर पर विख्यात है
बिलकुल शिवांगम जी 🙏
यह रही माता कालरात्रि की पूजा विधि (Puja Vidhi) पूरी विस्तार से, जिसे आप नवरात्रि की सप्तमी तिथि या किसी विशेष साधना में उपयोग कर सकते हैं:
🙏 माता कालरात्रि की पूजा विधि (Maa Kaalratri Puja Vidhi in Hindi)
🌅 1. स्नान और शुद्धता
- प्रातःकाल सूर्योदय से पहले उठें और स्नान करें।
- शुद्ध लाल या नीले रंग के वस्त्र धारण करें (नीला रंग माँ को अत्यंत प्रिय है)।
- पूजा स्थान को गंगाजल से पवित्र करें।
🪔 2. माँ कालरात्रि का ध्यान (Dhyan)
- माँ कालरात्रि की मूर्ति या तस्वीर को पूजा स्थान पर रखें।
- आसन पर बैठकर आँखें बंद करें और माता कालरात्रि का ध्यान करें।
ध्यान मंत्र:
“एकवेणी जपाकर्णपूरा नग्ना खरास्थिता।
लम्बोष्ठी कर्णिकाकर्णी तैलाभ्यक्तशरीरिणी॥
वामपादोल्लसल्लोहलताकण्टकभूषणा।
वर्धनमूर्धध्वजा कृष्णा कालरात्रिर्भयङ्करी॥”
🌼 3. संकल्प लेना (Sankalp)
अपने हाथ में थोड़ा सा जल, फूल और अक्षत लें और संकल्प करें कि आप श्रद्धा और विश्वास से माँ कालरात्रि की पूजा कर रहे हैं।
🔱 4. पंचोपचार/षोडशोपचार पूजा
अब माता को निम्न अनुसार पूजा अर्पित करें:
क्रिया | सामग्री |
आवाहन | “माँ कालरात्रि पधारो” कहकर स्वागत करें |
पाद्य | जल अर्पित करें उनके चरणों को धोने के लिए |
अर्घ्य | फूल, अक्षत और जल अर्पित करें |
आचमन | शुद्ध जल से |
स्नान | जल/दूध से (केवल तस्वीर हो तो जल छिड़कें) |
वस्त्र | लाल या नीला वस्त्र अर्पण करें |
गंध | चंदन या कुमकुम लगाएँ |
पुष्प | लाल फूल, गुलाब या गुड़हल चढ़ाएँ |
धूप-दीप | धूप और दीप प्रज्वलित करें |
नैवेद्य | गुड़, नारियल, पान, फल, या सूखे मेवे |
काले तिल | नकारात्मक ऊर्जा हटाने हेतु चढ़ाएँ |
ताम्बूल, इलायची | भोग में अर्पित करें |
दक्षिणा | अपनी श्रद्धा अनुसार कुछ मुद्रा या अर्पण |
📿 5. मंत्र जाप (Mantra Chanting)
माँ कालरात्रि को प्रसन्न करने के लिए निम्न मंत्र का जाप करें:
“ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे”
(इस मंत्र का कम से कम 108 बार जाप करें।)
🌸 6. आरती करें (Aarti)
माँ कालरात्रि की आरती गाएँ या पढ़ें। दीप जलाकर आरती करें।
🙌 7. प्रार्थना करें (Prarthana)
दोनों हाथ जोड़कर माता से प्रार्थना करें:
“हे माँ कालरात्रि! मेरे जीवन से समस्त भय, रोग, शत्रुता, दरिद्रता, और अज्ञानता को दूर करें। मुझे शक्ति, शांति और सुरक्षा प्रदान करें।”
🔚 8. भोग वितरण और समापन
- भोग को सभी परिजनों में प्रसाद रूप में बाँटें।
- अंत में माता से क्षमा प्रार्थना करें यदि पूजा में कोई त्रुटि हुई हो।
✨ विशेष सुझाव:
- पूजा के समय मन को शांत रखें, मोबाइल आदि से दूर रहें।
- दीपक में सरसों का तेल या घी प्रयोग करें।
- अगर संभव हो तो सप्तमी की रात माँ कालरात्रि का जागरण करें।
माता कालरात्रि की पूजा से मिलने वाले लाभ
माता कालरात्रि की पूजा करने से भक्तों को अनेक प्रकार के चमत्कारी और अद्भुत लाभ प्राप्त होते हैं। माँ का स्वरूप भले ही उग्र और भयानक हो, लेकिन वे अत्यंत शुभफल देने वाली देवी हैं। इसलिए इन्हें “शुभं कारी” भी कहा जाता है।
🌟 माता कालरात्रि की पूजा से मिलने वाले लाभ (Benefits of Maa Kaalratri Puja)
🔥 1. भय, बाधा और अंधकार का नाश
माता कालरात्रि अंधकार और भय का अंत करती हैं। जो व्यक्ति अत्यधिक भयभीत रहता है, बुरे सपने आते हैं या तंत्र-मंत्र से परेशान है, उसे माँ की पूजा से राहत मिलती है।
🧿 2. नकारात्मक ऊर्जा और बुरी शक्तियों से रक्षा
माँ कालरात्रि का स्वरूप राक्षसों, प्रेत-आत्माओं, नकारात्मक शक्तियों के लिए अत्यंत भयावह है। उनकी पूजा से घर और जीवन से बुरी शक्तियाँ दूर हो जाती हैं।
💰 3. आर्थिक तंगी और दरिद्रता से मुक्ति
गुड़, नारियल और तिल से की गई पूजा दरिद्रता को दूर करती है। माँ की कृपा से आय के नए स्रोत खुलते हैं और समृद्धि बढ़ती है।
🧘♂️ 4. ध्यान और साधना में सफलता
माँ कालरात्रि की आराधना विशेष रूप से तांत्रिक साधनाओं, ध्यान, योग और आध्यात्मिक उन्नति के लिए की जाती है। यह साधकों को तेज और सिद्धि प्राप्ति में सहायता करती है।
🪬 5. ग्रह दोषों से राहत (विशेषकर शनि, राहु, केतु)
जिनकी कुंडली में शनि, राहु या केतु की अशुभ दृष्टि हो, उन्हें माता कालरात्रि की आराधना करने से राहत मिलती है। ये ग्रह शांत होते हैं और शुभ फल देने लगते हैं।
🛡 6. शत्रुओं पर विजय और कानूनी मामलों में सफलता
जो लोग कोर्ट-कचहरी या शत्रु बाधा से परेशान हैं, उन्हें माँ कालरात्रि की पूजा से विजय मिलती है। शत्रु स्वयं परास्त हो जाते हैं।
❤️ 7. मानसिक शांति और आत्मविश्वास में वृद्धि
माँ की उपासना से मन स्थिर होता है, आत्मबल बढ़ता है, डर और हीनभावना समाप्त होती है।
🧒 8. बच्चों की रक्षा
यदि बच्चों को नजर लगती हो, डरते हों या नींद में परेशान रहते हों, तो माँ कालरात्रि की पूजा और उनका तिलक लगाने से बच्चे सुरक्षित रहते हैं।
🧿 9. तंत्र-मंत्र, जादू-टोना से सुरक्षा
माँ कालरात्रि को तांत्रिकों की देवी कहा जाता है। उनकी कृपा से हर प्रकार का काला जादू और बुरी तांत्रिक शक्तियाँ निष्क्रिय हो जाती हैं।
✨ 10. पूर्ण नवदुर्गा पूजा का फल
नवरात्रि की सप्तमी तिथि पर माँ कालरात्रि की पूजा करने से संपूर्ण नवदुर्गा आराधना का विशेष फल प्राप्त होता है। जीवन में ऊर्जा, उत्साह और सकारात्मकता का संचार होता है।
