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(16 फरवरी 2025)

द्विजप्रिय संकष्टी चतुर्थी (16 अप्रैल 2025)

17 मार्च 2025 को द्विजप्रिय संकष्टी चतुर्थी मनाई जाएगी। यह चैत्र माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि होती है, जिसे विशेष रूप से भगवान गणेश की पूजा के लिए जाना जाता है। इस दिन व्रति सूर्योदय से चंद्रोदय तक उपवास रखते हैं और चंद्र दर्शन के बाद व्रत का पारण करते हैं।
पूजा विधि:

स्नान और व्रत का संकल्प: प्रातः जल्दी उठकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें। फिर भगवान गणेश का ध्यान करते हुए व्रत का संकल्प लें।

पूजा सामग्री की तैयारी: पूजा के लिए निम्नलिखित सामग्री एकत्रित करें:

पीला कपड़ा
चौकी
फूल
जनेऊ
लौंग
दीपक
दूध
मोदक
गंगाजल
जल
देसी घी
11 या 21 तिल के लड्डू
फल
कलश
सुपारी
गणेश जी की प्रतिमा
पूजा का आयोजन: शाम को लाल रंग के वस्त्र पहनकर चौकी पर गणेश जी की प्रतिमा स्थापित करें। फिर दीपक जलाकर, मोदक, लड्डू, फल आदि अर्पित करें।

चंद्रोदय के बाद पूजा: चंद्रोदय के बाद चंद्र देव का पूजन करें और उन्हें अर्घ्य दें।

व्रत का पारण: पूजा के बाद व्रत का पारण करें और प्रसाद का वितरण करें।

विशेष योग:

इस दिन सर्वार्थ सिद्धि योग और अमृत सिद्धि योग बन रहे हैं, जो पूजा के लिए अत्यंत शुभ माने जाते हैं।

इस व्रत को रखने से जीवन के सभी कष्ट दूर होते हैं और सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है।

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