सावन मास हिन्दू पंचाग के अनुसार चैत्र महीने से शुरू होने वाले पांचवे महीने में मनाया जाता है संपूर्ण भारत वर्ष में इसको सावन अर्थात वर्षा ऋतु के नाम से भी जाना जाता है सावन मास भगवन शिव का प्रिय मास मन जाता है यहाँ मास भगवन शिव को समर्पित है इस माह में भगवान् शिव की आराधना की जाती है माना जाता है की सावन में भगवान् शिव की पूजा करने से सभी मनोकामना पूरी होती है इस माह में श्रावण नक्षत्र पूर्णिमा भी होती है इस लिए इसे श्रावण भी कहा जाता है | सावन मास में सोमवार का व्रत रखने से भक्तो भगवान् शिव एवं माता पार्वती का विशेष आशीर्वाद प्राप्त होता है कहा जाता है की कुवारी कन्याओं को सावन सोमवार व्रत करने से मन चाहा वर मिलता है सोमवार के व्रत में शुद्धता और सात्विकता का विशेष ध्यान रखना चाहिए। व्रत के दौरान अनाज जैसे चावल, गेहू, दाल एवं कच्चे दूध का सेवन वर्जित होता है। इसके अलावा आप तामसिक भोजन जैसे लहसुन, प्याज, मांस, मछली और अंडे का सेवन बिल्कुल भी न करें। इस दिन सिर्फ सेंधा नमक का ही उपयोग करें, क्योंकि यह व्रत के लिए शुद्ध माना जाता है।
सावन में होने वाले व्रत एवं पर्व :-
श्रावण कृष्ण(पक्ष) प्रतिपदा – पार्थिव शिव पूजन प्रारंभ,पञ्चमी – मौना पञ्चमी, एकादशी- कामदा एकादशी व्रत, त्रयोदशी-प्रदोष व्रत, अमावस्या-हरियाली अमावस्या |
श्रावण शुक्ल(पक्ष) तृतीया – मधुश्रावणी तीज, पञ्चमी : नाग पञ्चमी, एकादशी : पुत्रदा एकादशी व्रत, पूर्णिमा: रक्षाबन्धन |
सावन माह से जुडी पौराणिक कथाये :-
सावन माह से जुडी कई पौराणिक कथाये है इनमे से सबसे प्रसिद्ध है – समुद्र मंथन की कथा | सावन के इतिहास का पता समुद्र मंथन से लगाया जा सकता है जब देवता और असुर अमरता की तलाश में समुद्र मंथन के लिए एक साथ आये समुर्दा मंथन के दौरान समुद्र से कई चीज़े प्राप्त हुई इसमें से १४ रत्न थे जिनमे से कुछ प्रमुख है कालकूट विष, कामधेनु गाय, उच्चैःश्रवा घोड़ा, ऐरावत हाथी, कौस्तुभ मणि, कल्पवृक्ष, रम्भा नामक अप्सरा, लक्ष्मी, वारुणी, चंद्रमा, शारंग धनुष, पांचजन्य शंख, धन्वंतरी, अमृत और हलाहल नामक विष भी निकला जब हलाहल जहर सामने आया, तो इससे अराजकता फैल गई। जो भी इसके संपर्क में आया उसका विनाश होने लगा। इस विष से सृस्टि को खतरा था सभी देवता चिंता में आ गए तभी भगवन ब्रंहा और विष्णु ने भगवन शिव से मदद मांगी भगवन शिव ही शक्तिशाली विष की ग्रहण करने की क्षमता रखते थे सभी देवता गण ने भगवान शिव से इसे ग्रहण करने का अनुरोध किया भगवन शिव नके हलाहल विष ग्रहण करते ही उनका कंठ और शरीर नीला पड़ गया इसी लिए भगवन शिव को नीलकंठ नाम से भी जाना जाता है भगवन शिव की शरीर में विष फैलने से माता पार्वती चिंतित हो उठी और भगवान् शिव के कंठ में प्रवेश कर विष को फैलने से रोक लिया। विष के प्रभाव को शांत करने के लिए देवताओं ने उन्हें जल अर्पित किया, और तभी से सावन में शिवजी को जल चढ़ाने की परंपरा शुरू हुई | ये घटना सावन के महीने में हुईं। इसलिए इस पूरे महीना भगवान् शिव और माता पार्वती को समर्पित है सोमवार के दिन भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा की जाती है। हिंदू सावन महीने को शुभ मानते हैं क्योंकि इस दौरान कई महत्वपूर्ण त्योहार मनाए जाते हैं।
लिंगा पुराण एवं शिव पुराण :-
पौराणिक कथाओ में शिव पुराण के अनुसार, माता पार्वती ने भगवान शिव को अपने पति के रूप में प्राप्त करने के लिए सावन माह में कठोर तपस्या की थी। भगवान् शिव उनकी इस तपस्या से प्रसन्न होकर उन्हें दर्शन दिए और उनकी मनोकामना पूर्ण की। और इसी कारण आज भी कुवारी कन्याये शिव जैसा सुयोग्य वर पाने हेतु सावन के सोमवार व्रत को विधि पूर्ण करती है इस घटना के कारण सावन माह को भक्ति और तपस्या का महीना माना जाता है।
सावन सोमवार पूजा विधि :-
- सुबह की शुरुआत:-
सूर्यौदय के पहले उठकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र धारण कर ले।
घर या मंदिर में पूजा स्थल को साफ करें और भगवान शिव परिवार की मूर्ति या चित्र स्थापित करें। गणेश जी की पूजा से शुरुआत करें, क्योंकि गणेश जी प्रथम पूज्यनीय हैं।
- शिवलिंग का अभिषेक:-
शिवलिंग पर जल, दूध, दही, शहद, घी और गंगाजल से अभिषेक करें। यह अभिषेक 3 बार करे। अभिषेक के बाद, शिवलिंग को वस्त्र स्वरूप कलावा समर्पित करें और चंदन का तिलक लगाएं।
- अभिषेक सामग्री अर्पित करें:-
बेलपत्र, सफेद फूल, धतूरा, आक, अक्षत, भस्म, धूप, दीप, फल, मिठाई, और अन्य पूजा सामग्री शिवलिंग पर अर्पित करें। भगवन शिव को सफ़ेद मिठाई अति पराया है तो भगवान शिव को सफेद मिठाई का भोग लगाएं। साथ ही माता पार्वती को भी दूध, जल, चीनी, घी, गुड़, चावल, फूल, धूप, दीप आदि अर्पित करें।माता पार्वती को सिंदूर अर्पित करे साथ ही माता सुहागन औरते माता पार्वती को सिंदूर लगा कर उसी सिंदूर से अपनी मांग भरे इससे उनका सुहाग बना रहेगा |
- मंत्र जाप,व्रत कथा और आरती :-
ॐ नमः शिवाय” मंत्र का जाप 108 बार करें। शिव चालीसा और शिव स्तोत्र का पाठ करें।सावन सोमवार व्रत कथा का पाठ करें या सुनें। भगवान शिव और माता पार्वती की आरती करें।
- व्रत का समापन एवं कुछ महत्वपूर्ण बातें :-
सावन सोमवार के व्रत में सात्विक भोजन (फलाहार) करना चाहिए। व्रत के दौरान नकारात्मक विचारों से दूर रहना चाहिए। शिवलिंग पर तुलसी का पत्ता, सिंदूर, केतकी के फूल और हल्दी चढ़ाने से बचें। शिवलिंग पर बेलपत्र, धतूरा, भांग, अक्षत, चंदन, और दूध चढ़ाना शुभ माना जाता है। भगवान शिव को जल, बेलपत्र, ,भस्म और रुद्राक्ष अत्यंत प्रिय हैं। श्रावण मास में प्रतिदिन शिवलिंग पर जल चढ़ाएं और “ॐ नमः शिवाय” मंत्र का जाप करें।
धार्मिक एवं शारीरिक लाभ :-
सावन सोमवार का व्रत रखने से न केवल आध्यात्मिक लाभ प्राप्त होता है, बल्कि यह स्वास्थ्य के लिए भी फायदेमंद होता है, क्योंकि यह शरीर को शुद्ध करने और नकारात्मक ऊर्जा को दूर करने में मदद करता है। सोमवार चंद्रमा का भी दिन माना जाता है और भगवान शिव चंद्रमा को धारण करते हैं। इसलिए सावन सोमवार का व्रत रखने से चंद्रमा की अनुकूलता भी प्राप्त होती है, जिससे मन शांत रहता है और मानसिक संतुलन बना रहता है।